ब्लैक-कैप्ड कैपुचिन बंदरों का बैनरघट्टा जैविक उद्यान में आगमन: संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम

ब्लैक-कैप्ड कैपुचिन बंदरों का बैनरघट्टा जैविक उद्यान में आगमन: संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम

बैनरघट्टा जैविक उद्यान, कर्नाटक ने दक्षिण अफ्रीका से आठ ब्लैक-कैप्ड कैपुचिन बंदर आयात किए हैं। यह कदम प्राणी संरक्षण, आनुवंशिक विविधता बढ़ाने और प्राणिसंग्रहालय प्रबंधन को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

आगमन और संगरोध प्रक्रिया

चार नर और चार मादा ब्लैक-कैप्ड कैपुचिन बंदर रविवार को केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुँचे। उन्हें बैनरघट्टा जैविक उद्यान के संगरोध परिसर में स्थानांतरित किया गया, जहाँ वे आयातोत्तर स्वास्थ्य परीक्षण की प्रक्रिया से गुजरेंगे। सभी बंदरों को मानक जैव सुरक्षा नियमों के अंतर्गत रखने की व्यवस्था की गई है।

नियामकीय अनुपालन और स्वीकृतियाँ

उद्यान प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि यह आयात केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सभी नियामकीय प्रावधानों के अनुरूप हो। इसके लिए निम्नलिखित स्वीकृतियाँ और अनुमति प्राप्त की गईं:

  • केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA), नई दिल्ली की स्वीकृति
  • राज्य मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक,
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय,
  • पशुपालन और डेयरी विभाग,
  • वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (WCCB) की नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC)

अंतरराष्ट्रीय स्वीकृतियाँ और जैव सुरक्षा उपाय

इस आयात कार्यक्रम के तहत:

  • विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा आयात परमिट जारी किया गया।
  • बंदरों को दक्षिण अफ्रीका में निर्धारित मानकों के अनुसार निरीक्षण और संगरोध में रखा गया।
  • प्रस्थान से पूर्व भारतीय पशु संगरोध सेवा (Animal Quarantine Services) की स्वीकृति प्राप्त की गई।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ब्लैक-कैप्ड कैपुचिन बंदर का वैज्ञानिक नाम Sapajus apella है।
  • आयात पशु आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत किया गया।
  • अंतरराष्ट्रीय पशु आयात हेतु Central Zoo Authority की अनुमति आवश्यक होती है।
  • Animal Quarantine Services की पूर्व अनुमति के बिना कोई भी पशु भारत में प्रवेश नहीं कर सकता।

संरक्षण और प्रबंधन के लिए महत्व

इन नए बंदरों की आमद से बैनरघट्टा जैविक उद्यान में प्रजनन कार्यक्रम को बल मिलेगा और व्यवहारिक विविधता में वृद्धि होगी। यह पहल अंतरराष्ट्रीय संरक्षण सहयोग, स्वास्थ्य मानकों, और कानूनी प्रावधानों के पालन के साथ की गई है।

ऐसे कार्यक्रम भारत को वैश्विक वन्यजीव संरक्षण प्रयासों से जोड़ते हैं और यह दर्शाते हैं कि देश जैव विविधता के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है।

Originally written on December 17, 2025 and last modified on December 17, 2025.

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