ब्रह्मोस मिसाइल के सफल परीक्षण से भारतीय सेना की मारक क्षमता में वृद्धि
भारतीय सेना ने 1 दिसंबर को बंगाल की खाड़ी से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का सफल युद्धाभ्यास परीक्षण कर अपनी लंबी दूरी की स्ट्राइक क्षमता को और अधिक मजबूत किया है। यह परीक्षण युद्ध जैसी परिस्थितियों में किया गया, जिसने सेना की उच्च स्तरीय तैयारी और तकनीकी दक्षता को प्रदर्शित किया।
त्रि-सेवा समन्वय और संचालन क्षमता
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह प्रक्षेपण दक्षिणी कमान की ब्रह्मोस इकाई और त्रि-सेवा अंडमान एवं निकोबार कमान के समन्वय से किया गया। इस मिशन ने तीनों सेनाओं की संयुक्त कार्यकुशलता और वास्तविक समय में संचालित अभियानों की क्षमता को सिद्ध किया। भारत की सशस्त्र सेनाओं के लिए यह परीक्षण एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है, जो सामरिक अभियानों में संयुक्त सहयोग की दिशा में बड़ा कदम है।
सटीकता और प्रदर्शन की पुष्टि
उन्नत मार्गदर्शन और नियंत्रण प्रणाली से लैस ब्रह्मोस मिसाइल ने अपनी पूरी उड़ान के दौरान स्थिर गति और उच्च सटीकता बनाए रखी। इसने निर्धारित लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदा और सभी परिचालन उद्देश्यों को पूरा किया। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय सेना जटिल युद्ध परिस्थितियों में भी सटीक वार करने में पूरी तरह सक्षम है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में प्रगति
दक्षिणी कमान के जनरल लेफ्टिनेंट धीरज सेठ ने इस मिशन में शामिल सभी दलों की सराहना की और उनके पेशेवर कौशल तथा तकनीकी दक्षता की प्रशंसा की। यह सफलता न केवल भारत की सामरिक रोकथाम (deterrence) क्षमता को बढ़ाती है, बल्कि स्वदेशी तकनीक पर आधारित रक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता को भी मजबूत करती है। यह भारत की आत्मनिर्भर भारत पहल की दिशा में एक और ठोस कदम है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ब्रह्मोस भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है।
- इसका नाम ब्रह्मपुत्र और मॉस्कवा नदियों के नाम पर रखा गया है।
- मिसाइल की अधिकतम गति लगभग मैक 2.8 से मैक 3 (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना) है।
- यह मिसाइल जमीन, समुद्र और वायु तीनों प्लेटफॉर्म से दागी जा सकती है।
- इस परीक्षण में दक्षिणी कमान और अंडमान-निकोबार कमान ने संयुक्त रूप से भाग लिया।