ब्याज दरों में कटौती के बावजूद भारत में सरकारी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि: कारण और संभावित प्रभाव

हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट में 100 आधार अंकों की कटौती के बावजूद, भारत के 10-वर्षीय गवर्नमेंट बॉन्ड की यील्ड में अप्रत्याशित रूप से 26 आधार अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है। यह स्थिति आमतौर पर विपरीत होती है — क्योंकि जब ब्याज दरें घटती हैं, तो बॉन्ड यील्ड्स भी नीचे जाती हैं। लेकिन इस बार बाजार ने अलग संकेत दिए हैं।

बॉन्ड यील्ड में वृद्धि के मुख्य कारण

  1. मुद्रास्फीति को लेकर RBI का कठोर रुख (Hawkish Stance)हालाँकि RBI ने दरों में कटौती की है, फिर भी उसकी नीति का झुकाव मुद्रास्फीति नियंत्रण की ओर स्पष्ट है।

    • 2025–26 की पहली तिमाही में मुद्रास्फीति के 4.9% तक लौटने का अनुमान दर्शाता है कि RBI निकट भविष्य में दरों में और कटौती से परहेज करेगा।
  2. राजकोषीय घाटे की आशंका और कर सुधार

    • प्रस्तावित GST स्लैब सरलीकरण (5%, 18% और 40% के तीन मुख्य स्लैब) से राजस्व में ₹50,000–60,000 करोड़ की कमी का अनुमान लगाया गया है।
    • इस घाटे को पूरा करने के लिए सरकारी उधारी में वृद्धि की संभावना है, जिससे बॉन्ड की आपूर्ति बढ़ेगी और कीमतें गिरेंगी — यील्ड में वृद्धि का प्रमुख कारण यही है।

यील्ड कर्व में बदलाव: दीर्घकालिक अस्थिरता का संकेत

  • CARE Ratings और Tata Mutual Fund की रिपोर्ट के अनुसार, यील्ड कर्व में “steepening” हुआ है — अर्थात दीर्घकालिक यील्ड्स अल्पकालिक यील्ड्स की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रही हैं।
  • इसका अर्थ है कि निवेशक भविष्य में उच्च ब्याज दरों और सरकारी उधारी की आशंका जता रहे हैं।

समाधान की संभावित रणनीतियाँ

  1. सरकारी उधारी का पुनर्गठन

    • दीर्घकालिक के बजाय अल्प और मध्यम अवधि के बॉन्ड जारी करना।
  2. RBI द्वारा बाज़ार हस्तक्षेप

    • Open Market Operations (OMO): दीर्घकालिक बॉन्ड खरीदकर आपूर्ति घटाना और यील्ड नीचे लाना।
    • Operation Twist: दीर्घकालिक बॉन्ड खरीदना और अल्पकालिक बॉन्ड बेचना — यील्ड कर्व को समतल बनाने हेतु।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • रेपो रेट (5.50%): RBI वह दर जिस पर वह बैंकों को ऋण देता है।
  • SDF (5.25%) और MSF (5.75%): रिज़र्व बैंक की अन्य अल्पकालिक दरें।
  • YTM (Yield to Maturity): बॉन्ड की परिपक्वता तक की औसत वार्षिक रिटर्न दर।
  • Basis Point (bps): 1 प्रतिशत = 100 आधार अंक; 26 bps = 0.26%
  • Operation Twist पहली बार 2011 में US Federal Reserve द्वारा किया गया था।

निष्कर्ष

भारत के बॉन्ड बाजार में यह उलटफेर यह दर्शाता है कि नीति दरों में कटौती हमेशा निवेशकों की धारणा में सुधार नहीं लाती, जब तक कि मुद्रास्फीति और राजकोषीय अनुशासन पर स्पष्ट दृष्टिकोण न हो। यदि सरकार और RBI इन चिंताओं को प्रभावी ढंग से संबोधित कर पाते हैं, तो बॉन्ड बाजार में स्थिरता लौट सकती है। लेकिन फिलहाल, बाजार सतर्क, चिंतित और असमंजस में है।

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