बोस संस्थान की क्रांतिकारी खोज: अब जीवित कोशिकाओं में रीयल-टाइम जीन एडिटिंग संभव “GlowCas9” के ज़रिए

बोस संस्थान की क्रांतिकारी खोज: अब जीवित कोशिकाओं में रीयल-टाइम जीन एडिटिंग संभव “GlowCas9” के ज़रिए

बोस इंस्टीट्यूट, कोलकाता के वैज्ञानिकों की एक टीम ने जीन संपादन की दुनिया में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने एक विशेष प्रकाशमान CRISPR प्रोटीन विकसित किया है, जिसे GlowCas9 नाम दिया गया है। यह प्रोटीन जीन-संपादन गतिविधियों को जीवित कोशिकाओं में रीयल-टाइम में देखने की सुविधा देता है — एक ऐसी क्षमता जिसकी विज्ञान में लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

पारंपरिक CRISPR निगरानी की सीमाएँ

CRISPR-Cas9 तकनीक ने डीएनए को काटने और सुधारने की सटीक क्षमता देकर जीन थेरेपी में क्रांति ला दी है। लेकिन अब तक वैज्ञानिक Cas9 प्रोटीन की गतिविधि को वास्तविक समय में नहीं देख सकते थे, क्योंकि मौजूदा तकनीकों में कोशिकाओं को पहले नष्ट या फिक्स करना पड़ता था। इससे जीन-संपादन की प्रक्रिया को पूरी तरह समझ पाना संभव नहीं था।

GlowCas9 की संरचना और कार्यप्रणाली

GlowCas9 में Cas9 प्रोटीन को स्प्लिट नैनो-ल्यूसीफरेज़ एंज़ाइम के साथ जोड़ा गया है, जो गहरे समुद्र के झींगे से प्राप्त प्रोटीन से बना है। जब Cas9 सही ढंग से सक्रिय होता है, तब ल्यूसीफरेज़ के दोनों भाग जुड़ जाते हैं और प्रकाश उत्पन्न करते हैं। यह प्राकृतिक बायोलुमिनेसेंस संकेत देता है कि जीन संपादन हो रहा है — वह भी कोशिका को नुकसान पहुँचाए बिना

GlowCas9 को पौधों की पत्तियों, जीवित ऊतकों और कोशिकाओं में प्रभावी रूप से लागू किया गया है, जिससे यह प्रयोगशाला के बाहर भी कार्य कर सकता है।

जीन थेरेपी और सटीक संपादन में लाभ

GlowCas9 न केवल अधिक थर्मल स्थिरता प्रदान करता है, बल्कि यह जीन संपादन के एक विशेष मार्ग Homology-Directed Repair (HDR) को भी बेहतर बनाता है। यह वही प्रक्रिया है जो अनुवांशिक बीमारियों जैसे सिकल सेल एनीमिया और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में सुधार की संभावना को बढ़ाती है।

शोधकर्ताओं ने इसकी सटीकता का प्रदर्शन करते हुए “ACHARYA” नामक डीएनए अनुक्रम को सटीक रूप से एक जीनोम में जोड़ा — यह दर्शाता है कि यह तकनीक जीन एडिटिंग में उच्च नियंत्रण और पारदर्शिता ला सकती है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • GlowCas9 एक बायोलुमिनेसेंट CRISPR प्रोटीन है जिसे बोस इंस्टीट्यूट, कोलकाता में विकसित किया गया।
  • इसमें स्प्लिट नैनो-ल्यूसीफरेज़ का प्रयोग किया गया जो सक्रियता पर प्रकाश उत्सर्जित करता है।
  • यह प्रणाली थर्मल स्थिरता को बेहतर बनाती है और HDR प्रक्रिया को बढ़ावा देती है।
  • यह खोज 2025 में “Angewandte Chemie International Edition” पत्रिका में प्रकाशित हुई।

थेराट्रैकिंग और भविष्य की संभावनाएँ

GlowCas9 ने “Theratracking” नामक एक नई अवधारणा की शुरुआत की है, जिसमें वैज्ञानिक अब जीन थेरेपी को जीवित जीवों में प्रत्यक्ष रूप से ट्रैक कर सकते हैं। इसकी पौधों में भी कार्यशीलता यह संकेत देती है कि यह तकनीक गैर-ट्रांसजेनिक कृषि सुधारों में भी उपयोगी हो सकती है।

यह विकास सुरक्षित, अधिक सटीक और निगरानी योग्य जीन संपादन के युग की शुरुआत करता है, जहाँ वैज्ञानिक प्रत्येक आणविक प्रक्रिया को जीवित जीवों के अंदर सीधे देख सकेंगे — और यह भारत के वैज्ञानिक योगदान को वैश्विक स्तर पर एक नई ऊँचाई देता है।

Originally written on December 12, 2025 and last modified on December 12, 2025.

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