बोधगया मंदिर अधिनियम 1949 को चुनौती: सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका पर सुनवाई को हरी झंडी

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम याचिका पर विचार करने की सहमति दी है, जिसमें बिहार स्थित महाबोधि मंदिर के प्रबंधन के लिए बने बोधगया मंदिर अधिनियम, 1949 को रद्द करने और उसकी जगह एक नया केंद्रीय कानून लागू करने की मांग की गई है। यह मामला सिर्फ एक कानूनी बहस नहीं, बल्कि बौद्ध श्रद्धालुओं की धार्मिक स्वतंत्रता और ऐतिहासिक धरोहर की निष्पक्ष देखरेख से भी जुड़ा है।
बोधगया: बुद्धत्व की भूमि
बिहार के बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर परिसर वह पवित्र स्थल है, जहां भगवान गौतम बुद्ध को बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह स्थल यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है और बुद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में एक माना जाता है। मंदिर परिसर में 50 मीटर ऊँचा मुख्य मंदिर, वज्रासन, पवित्र बोधिवृक्ष, छह अन्य पवित्र स्थल और सैकड़ों प्राचीन स्तूप शामिल हैं।
याचिका की मुख्य माँगें और संवैधानिक आधार
याचिका में बोधगया मंदिर अधिनियम, 1949 को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यह कानून भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13 के विरुद्ध है, जो मौलिक अधिकारों के खिलाफ बनाए गए किसी भी कानून को अमान्य घोषित करता है। उनका तर्क है कि यह अधिनियम बौद्ध धर्मावलंबियों के धार्मिक, आस्थागत और पूजापरक अधिकारों के साथ असंगत है।
साथ ही, याचिका में यह भी मांग की गई है कि मंदिर परिसर से सभी अतिक्रमण हटाए जाएं और बौद्ध धर्मावलंबियों को वहां विशेष पूजा-अर्चना करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित की जाए।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
न्यायमूर्ति एम. एम. सुंद्रेश और न्यायमूर्ति एन. कोटेश्वर सिंह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए केंद्र और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। अदालत ने इस याचिका को एक अन्य लंबित मामले के साथ जोड़ते हुए आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। गौरतलब है कि इससे पहले 30 जून को सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य समान याचिका को खारिज कर दिया था और याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने का सुझाव दिया था।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- महाबोधि मंदिर परिसर 2002 में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया था।
- बोधगया को भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़े चार प्रमुख तीर्थ स्थलों में गिना जाता है।
- बोधिवृक्ष, जिसके नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ, मंदिर परिसर के प्रमुख आकर्षणों में है।
- मंदिर परिसर समुद्र तल से लगभग 5 मीटर नीचे स्थित है और तीन स्तरों पर परिक्रमा मार्गों से घिरा हुआ है।
महाबोधि मंदिर न केवल बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए एक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। वर्तमान याचिका का फैसला मंदिर प्रबंधन, धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक संरक्षा के संतुलन पर दूरगामी प्रभाव डाल सकता है।