बॉम्बे हाईकोर्ट का फैसला: भारत रत्न और पद्म पुरस्कार ‘उपाधियाँ’ नहीं, नाम से पहले या बाद में नहीं लगाए जा सकते
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों – जैसे भारत रत्न और पद्म पुरस्कार – को व्यक्ति के नाम के साथ उपसर्ग (prefix) या प्रत्यय (suffix) के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि ये पुरस्कार राष्ट्रीय सम्मान के प्रतीक हैं, लेकिन इनसे किसी की कानूनी पहचान में कोई बदलाव नहीं होता, और इन्हें न्यायिक या आधिकारिक अभिलेखों में ‘उपाधि’ की तरह दर्ज करना अनुचित है।
मामला और न्यायिक टिप्पणी का संदर्भ
यह टिप्पणी एक 2014 के पद्मश्री पुरस्कार विजेता डॉ. शरद हार्डिकर से जुड़े रिट याचिका की सुनवाई के दौरान आई। याचिका में जब अदालत के समक्ष उनके नाम के साथ ‘पद्मश्री’ शब्द बतौर उपसर्ग प्रस्तुत किया गया, तो न्यायालय ने इस पर आपत्ति जताई। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि केस टाइटल में ऐसे किसी नागरिक सम्मान को नाम के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए और संबंधित दस्तावेज़ों को सुधारने का निर्देश दिया।
नागरिक सम्मानों की कानूनी स्थिति
अदालत ने कहा कि किसी भी नागरिक सम्मान को ‘उपाधि’ के रूप में प्रयोग करना भारतीय संविधान और सर्वोच्च न्यायालय के स्थापित कानून के विपरीत है। ये सम्मान योग्यता और सेवा की मान्यता हैं, न कि कानूनी उपाधियाँ। इसलिए इनका प्रयोग व्यक्ति के नाम के साथ नहीं किया जा सकता, विशेषकर जब बात आधिकारिक या न्यायिक दस्तावेज़ों की हो।
सर्वोच्च न्यायालय का मार्गदर्शक निर्णय
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 1995 में आए संविधान पीठ के एक महत्वपूर्ण निर्णय का हवाला दिया, जिसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि भारत रत्न या पद्म पुरस्कार जैसे सम्मान किसी प्रकार की ‘उपाधि’ नहीं माने जा सकते। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, इन सम्मानों का नाम व्यक्ति के नाम से पहले या बाद में लगाना संविधान के अनुच्छेद 18 का उल्लंघन है।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 141 के अंतर्गत, सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषित कानून पूरे देश की सभी अदालतों पर बाध्यकारी होता है। अतः निचली अदालतों और सभी सरकारी संस्थानों को इसका पालन करना अनिवार्य है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- अनुच्छेद 18 भारत में उपाधियों की समाप्ति की घोषणा करता है (सैन्य और शैक्षणिक उपाधियों को छोड़कर)।
- पद्म पुरस्कार तीन श्रेणियों में प्रदान किए जाते हैं: पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण।
- भारत रत्न भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।
- पद्म पुरस्कार हर वर्ष गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषित किए जाते हैं।
इस निर्णय से यह स्पष्ट संकेत जाता है कि भले ही नागरिक सम्मान समाज में किसी की प्रतिष्ठा को बढ़ाते हैं, लेकिन उन्हें व्यक्ति की कानूनी पहचान का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता। यह फैसला प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था में सांविधानिक समानता और स्पष्टता को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।