बेलारूस से आई गुब्बारों की घुसपैठ पर लिथुआनिया में आपातकाल घोषित
लिथुआनिया सरकार ने बेलारूस की सीमा से लगातार आ रहे संदिग्ध गुब्बारों की घटनाओं के बाद देशभर में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की है। अधिकारियों का मानना है कि यह एक “हाइब्रिड दबाव रणनीति” का हिस्सा हो सकता है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाना और सुरक्षा ढांचे को चुनौती देना है।
हवाई सुरक्षा में लगातार व्यवधान
गुब्बारों की इन घटनाओं के कारण विल्मियस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को कई बार बंद करना पड़ा है। कुछ गुब्बारों में तस्करी का सामान पाए जाने से यह आशंका और गहराई है कि यह गतिविधि जानबूझकर की गई थी।
सरकार ने इसे न केवल मानव जीवन के लिए खतरा बताया, बल्कि राष्ट्रीय अवसंरचना और पर्यावरणीय सुरक्षा पर भी गंभीर प्रभाव डालने वाला बताया है।
सुरक्षा बलों को मिल सकते हैं विशेष अधिकार
लिथुआनिया सरकार ने संसद से अनुरोध किया है कि सेना को पुलिस, सीमा सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के साथ संयुक्त रूप से कार्य करने की अनुमति दी जाए। यदि संसद से मंजूरी मिलती है, तो सेना संदिग्ध क्षेत्रों में प्रवेश-निषेध लागू करने, तलाशी लेने, दस्तावेज़ों की जांच करने और संदिग्ध व्यक्तियों को हिरासत में लेने जैसे अधिकारों के साथ तैनात की जा सकेगी। रक्षा मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि आवश्यकता पड़ने पर सेना को बल प्रयोग की अनुमति होगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- लिथुआनिया ने बेलारूस से आने वाले गुब्बारों के कारण राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया है।
- विल्मियस हवाई अड्डे को कई बार अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा।
- सरकार संसद से सेना को विशेष अधिकार देने की मांग कर रही है।
- यूरोपीय आयोग ने इसे “हाइब्रिड अटैक” की संज्ञा दी है।
क्षेत्रीय सुरक्षा और नाटो पर प्रभाव
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयन ने बेलारूस की इन हरकतों को “अस्वीकार्य” बताया है और इसे यूरोपीय सीमा पर एक प्रकार का हाइब्रिड हमला करार दिया है। इससे पहले भी लिथुआनिया 2021 में बेलारूस से जुड़े प्रवासी संकट और 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर चुका है।
इस बार की घटनाएं एक बार फिर नाटो के पूर्वी फ्रंट की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा रही हैं। लिथुआनिया अब लंबी अवधि की हाइब्रिड रणनीतियों का सामना करने के लिए अपनी सैन्य और सुरक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है। आपातकालीन उपाय तब तक प्रभावी रहेंगे, जब तक सरकार स्थिति को नियंत्रण में मानकर इन्हें समाप्त नहीं करती।