बीमा क्षेत्र में बड़ा सुधार: सरकार लाई ‘इंश्योरेंस लॉज़ (संशोधन) विधेयक’ संसद में

बीमा क्षेत्र में बड़ा सुधार: सरकार लाई ‘इंश्योरेंस लॉज़ (संशोधन) विधेयक’ संसद में

भारत सरकार ने देश के बीमा क्षेत्र को नई दिशा देने की दिशा में अहम कदम उठाया है। आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने वाले ‘इंश्योरेंस लॉज़ (अमेंडमेंट) बिल’ का उद्देश्य विदेशी निवेश सीमा को बढ़ाना, नियामक ढाँचे को सरल बनाना और बीमा सेवाओं की पहुँच को देशभर में विस्तारित करना है।

विदेशी निवेश सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव

इस विधेयक का सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान है बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करना। यह कदम 2025–26 के केंद्रीय बजट में की गई घोषणा के अनुरूप है और इससे बीमा उद्योग में निरंतर विदेशी पूँजी के प्रवाह को प्रोत्साहन मिलेगा। यह नई सीमा उन कंपनियों पर लागू होगी जो संपूर्ण प्रीमियम राशि का निवेश भारत में करती हैं। सरकार का मानना है कि विदेशी भागीदारी पर मौजूद जटिल प्रतिबंधों को सरल बनाकर एक अधिक निवेशक–अनुकूल माहौल तैयार किया जा सकता है।

बीमा कानूनों में व्यापक सुधार

यह विधेयक तीन प्रमुख कानूनों इंश्योरेंस एक्ट, 1928, एलआईसी एक्ट, 1956, और आईआरडीएआई एक्ट, 1999 में संशोधन का प्रस्ताव रखता है। इन सुधारों का उद्देश्य बीमा उत्पादों को अधिक सुलभ और किफायती बनाना, उद्योग के विस्तार को गति देना और प्रक्रियागत अड़चनों को दूर करना है। सरकार का दीर्घकालिक लक्ष्य है कि बीमा कवरेज देश के हर नागरिक तक पहुँचे और बाज़ार में प्रतिस्पर्धा व नवाचार को बढ़ावा मिले।

कॉम्पोजिट लाइसेंस और बाज़ार में लचीलापन

इस विधेयक का एक विशेष प्रावधान कॉम्पोजिट लाइसेंस की शुरुआत है, जिसके तहत एक ही बीमा कंपनी जीवन, स्वास्थ्य और सामान्य बीमा सेवाएँ एक साथ प्रदान कर सकेगी। इससे नियामकीय अनुपालन सरल होगा, लागत घटेगी और उत्पाद नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा। यह मॉडल भारत सरकार के “2047 तक सभी के लिए बीमा” लक्ष्य को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा 74% से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव है।
  • कॉम्पोजिट लाइसेंस से एक ही कंपनी जीवन, स्वास्थ्य और सामान्य बीमा की सेवाएँ दे सकेगी।
  • आईआरडीएआई कुछ खंडों के लिए न्यूनतम पूँजी सीमा ₹50 करोड़ तक तय कर सकता है।
  • विदेशी रीइंश्योरेंस कंपनियों के लिए नेट ओन्ड फंड की आवश्यकता ₹1,000 करोड़ तक घटाई जा सकती है।

संभावित आर्थिक और नियामक प्रभाव

विश्लेषकों के अनुसार, पूर्ण विदेशी स्वामित्व की अनुमति से बीमा क्षेत्र में तेज़ वृद्धि की संभावना है। अगले पाँच वर्षों में भारत का बीमा बाज़ार औसतन 7.1 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ने का अनुमान है। इससे उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, उत्पाद गुणवत्ता में सुधार होगा, तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान होगा और उपभोक्ता सेवाएँ बेहतर होंगी। कनाडा, ब्राज़ील, ऑस्ट्रेलिया और चीन जैसे देशों की तरह भारत भी अब वैश्विक मानकों के अनुरूप निवेश ढाँचा अपनाने की दिशा में अग्रसर है, जिससे देश में पूँजी प्रवाह और विशेषज्ञता दोनों को गति मिलने की उम्मीद है।

Originally written on November 24, 2025 and last modified on November 24, 2025.

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