बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा 100% तक बढ़ाने को मंत्रिमंडल की मंजूरी: बीमा क्षेत्र में बड़ा सुधार
केंद्र सरकार ने भारत के बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सीमा को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट भाषण में किए गए प्रस्ताव के अनुरूप है और इससे बीमा क्षेत्र में वैश्विक पूंजी प्रवाह तथा बीमा कवरेज के विस्तार को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह निर्णय मौजूदा 74% एफडीआई सीमा से एक बड़ा बदलाव है और भारत के बीमा क्षेत्र को और अधिक उदार व प्रतिस्पर्धात्मक बनाएगा।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, बीमा कानून (संशोधन) विधेयक, 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है और इसे संसद के शीतकालीन सत्र (19 दिसंबर तक) में पेश किया जाएगा। यह विधेयक संसद सत्र के 13 प्रमुख विधेयकों में शामिल है और इसका उद्देश्य बीमा क्षेत्र में वृद्धि, निवेश आकर्षण और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ाना है।
• एफडीआई सीमा 100% तक बढ़ाने का प्रस्ताव
• बीमा अधिनियम, 1938, एलआईसी अधिनियम, 1956, और IRDA अधिनियम, 1999 में आवश्यक संशोधन
• बीमा कंपनियों में गैर-बीमा कंपनियों के विलय की अनुमति
• पॉलिसीधारकों के लिए एक विशेष निधि (Dedicated Policyholder Fund) की व्यवस्था
• यह शर्त कि चेयरमैन, मैनेजिंग डायरेक्टर या सीईओ जैसे कम-से-कम एक प्रमुख पद पर भारतीय नागरिक की नियुक्ति अनिवार्य होगी
सरकार का लक्ष्य है कि:
- बीमा कवरेज को बढ़ाया जाए
- प्रतिस्पर्धा में इज़ाफा हो
- वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाएं भारत में लाई जा सकें
- लंबी अवधि की पूंजी और नवाचार को प्रोत्साहन मिले
- बीमा क्षेत्र में रोज़गार सृजन और जोखिम प्रबंधन को मजबूती दी जाए
अब तक भारत के बीमा क्षेत्र में लगभग ₹82,000 करोड़ का एफडीआई आ चुका है। 100% विदेशी निवेश से इस प्रवाह को और बल मिलेगा।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि इस सुधार से:
- वैश्विक बीमा कंपनियाँ भारत में निवेश को आकर्षित होंगी
- उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प, नवीन उत्पाद और प्रतिस्पर्धी मूल्य मिलेंगे
- एलआईसी अधिनियम में संशोधन से इसके बोर्ड को ऑपरेशनल निर्णय, जैसे शाखा विस्तार और भर्ती, करने की स्वतंत्रता मिलेगी
- पॉलिसीधारकों की सुरक्षा, सेवा गुणवत्ता और बीमा पारिस्थितिकी तंत्र की सतत वृद्धि को बल मिलेगा
यह विधेयक भारत के बीमा क्षेत्र में निवेश, नवाचार और उपभोक्ता हितों की सुरक्षा के लिए एक निर्णायक कदम माना जा रहा है, जिससे देश का आर्थिक परिदृश्य और मज़बूत होगा।