बिहार में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण: पुराने मतदाताओं को भी देना होगा नागरिकता का प्रमाण

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी के तहत भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने एक विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) की घोषणा की है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत 2003 की मतदाता सूची में शामिल नहीं रहे सभी मतदाताओं को फिर से पात्रता सिद्ध करने वाले दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। यह कदम मतदाता सूची की शुद्धता, पारदर्शिता और नागरिकता सत्यापन सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
कौन-कौन से दस्तावेज मांगे जाएंगे?
निर्वाचन आयोग ने दस्तावेज़ीकरण की प्रक्रिया को तीन वर्गों में विभाजित किया है, जो नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुरूप है:
- 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे मतदाता:
- जन्म तिथि/स्थान को प्रमाणित करने वाला कोई दस्तावेज आवश्यक।
- 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे मतदाता:
- माता/पिता की जन्म तिथि या स्थान का प्रमाण।
- 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे मतदाता:
- माता-पिता दोनों का जन्म प्रमाण या जन्म स्थान का प्रमाण आवश्यक।
पुनरीक्षण की प्रक्रिया कैसे चलेगी?
- इस अभियान की शुरुआत 26 जून से हो चुकी है।
- 1 अगस्त को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।
- 1 सितंबर तक आपत्तियां और दावे दर्ज किए जा सकेंगे।
- 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची जारी की जाएगी।
बूथ स्तर अधिकारी (BLO) मतदाताओं के घर-घर जाकर पहले से भरे हुए एन्यूमरेशन फॉर्म (EF) वितरित करेंगे और दस्तावेजों के साथ फॉर्म एकत्र करेंगे। फॉर्म और दस्तावेज ECINET ऐप पर ऑनलाइन भी जमा किए जा सकते हैं।
क्यों जरूरी है यह पुनरीक्षण?
ECI के अनुसार, बिहार में पिछली गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया 2003 में हुई थी। तब से अब तक:
- शहरीकरण और पलायन बढ़ा है।
- बड़ी संख्या में नए युवा मतदाता पात्र बने हैं।
- मृतकों की जानकारी रिपोर्ट नहीं की गई है।
- अवैध विदेशी नागरिकों के नाम सूची में शामिल होने की आशंका है।
इसलिए मतदाता सूची की पूर्णता और शुद्धता के लिए यह पुनरीक्षण आवश्यक है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 2024 के लोकसभा चुनावों में बिहार में 7.72 करोड़ पंजीकृत मतदाता थे।
- ‘Representation of the People Act, 1950’ की धारा 23 और 24 के तहत यह पुनरीक्षण और अपील की प्रक्रिया संचालित होती है।
- BLO को तीन बार फॉर्म संग्रह के लिए मतदाता के घर जाना अनिवार्य है; बिना विधिक जांच के किसी नाम को हटाया नहीं जा सकता।
- अब सभी प्रमाण पत्र ECINET ऐप पर अपलोड किए जाएंगे, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
EVM और VVPAT को लेकर नया दिशानिर्देश
ECI ने मतदान के पहले किए जाने वाले मॉक पोल के वोटों की गड़बड़ी को देखते हुए नया आदेश जारी किया है:
- यदि मॉक पोल के वोट ईवीएम या वीवीपैट से डिलीट नहीं हुए, तो उन मशीनों को अलग टेबल पर गिनती के लिए रखा जाएगा।
- मॉक पोल प्रमाणपत्र के अनुसार, उन वोटों को कुल मतों में से घटाया जाएगा।
- लापरवाही पाए जाने पर संबंधित प्रेसीडिंग और पोलिंग अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी।
यह पूरी प्रक्रिया निर्वाचन आयोग की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसमें वह मतदाता सूची की शुद्धता, नागरिकता की वैधता और चुनावी पारदर्शिता को सुनिश्चित करने की दिशा में व्यापक कदम उठा रहा है। विशेष रूप से बिहार जैसे संवेदनशील राज्य में यह कदम लोकतंत्र को मजबूत बनाने का प्रतीक है।