बिरहोर जनजाति, बिहार

बिरहोर जनजाति, बिहार

झारखंड की बिरहोर जनजाति मूल रूप से मुंडा समूह की है। बिरहोर शब्द ‘जंगल के निवासी’ का प्रतीक है। ये आदिवासी मुंडा भाषा के समूह से संबंधित बिरहोर भाषा बोलते हैं।

बिरहोर जनजाति का स्थान
बिरहोर जनजाति ज्यादातर हजारीबाग जिले, रांची जिले और सिंहभूम जिले के आसपास केंद्रित है। बिरहोर जनजाति उड़ीसा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल राज्यों में भी रहती हैं।

बिरहोर जनजाति की संस्कृति
संस्कृति और धार्मिक प्रथाओं के बिना किसी भी समाज को अलंकृत नहीं किया जाता है। उनकी संस्कृति समृद्ध और विविध है। वे हिंदू धर्म का पालन करते हैं और उनकी स्वदेशी पारंपरिक मान्यताएं हैं। बिरहोर जनजातियां देवी देवी, धरती माई की भी पूजा करती हैं।

बिरहोर जनजाति का समाज
इस बिरहोर समाज के बारे में यह भी अनोखा है कि पूरे समाज की संरचना कैसे की गई है। बिरहोर आदिवासी समुदाय में कोई वंश मौजूद नहीं है।

बिरहोर जनजाति का व्यवसाय
अधिकांश बिरहोर लोग कृषि प्रधान हैं, लेकिन कुछ अपनी आजीविका मजदूरों और वन संसाधनों से कमाते हैं। विभिन्न लघु वन उत्पादों की खरीद और विनिमय भी किया जाता है। बिरहोर जनजाति ने अपनी जीवन शैली और रीति-रिवाजों को बरकरार रखा है।

Originally written on August 11, 2019 and last modified on August 11, 2019.

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