बाल विवाह मुक्त पंचायतों की ओर ऐतिहासिक कदम: सुरजपुर की प्रेरणादायक उपलब्धि

“स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” अभियान और राष्ट्रीय पोषण माह की पृष्ठभूमि में, छत्तीसगढ़ के सुरजपुर जिले ने सामाजिक सुधार और जन-जागरूकता के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। 17 सितंबर 2025 को सुरजपुर जिला प्रशासन द्वारा घोषित किया गया कि जिले की 75 ग्राम पंचायतों को “बाल विवाह मुक्त पंचायत” के रूप में मान्यता दी गई है। यह मान्यता पिछले दो वर्षों में इन पंचायतों में एक भी बाल विवाह की घटना दर्ज न होने के आधार पर दी गई।
यह उपलब्धि न केवल छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है कि सामूहिक प्रयासों से सामाजिक कुरीतियों पर विजय पाई जा सकती है।

जन-जागरूकता और सामाजिक भागीदारी की भूमिका

इस सफलता के पीछे महिला एवं बाल विकास विभाग की सतत पहल, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, पंचायत प्रतिनिधियों और स्वयंसेवी संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी प्रमुख रही। हर गांव में नियमित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, बाल अधिकारों और शिक्षा के महत्व पर संवाद किए गए, और बाल विवाह की किसी भी आशंका पर त्वरित कार्यवाही की गई।
इस अभियान के परिणामस्वरूप समाज में सोच बदलने लगी — अब बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी जाने लगी। माता-पिता ने कम उम्र में विवाह के स्थान पर बेटियों को आगे बढ़ने के अवसर देना शुरू किया।

स्वास्थ्य और पोषण से सीधा संबंध

सुरजपुर की यह पहल राज्य के “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” अभियान और राष्ट्रीय पोषण माह के उद्देश्यों के अनुरूप एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि कम उम्र में विवाह और गर्भधारण से न केवल लड़कियों की शिक्षा बाधित होती है, बल्कि यह कुपोषण, एनीमिया और मातृ-शिशु मृत्यु दर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म देता है।
बाल विवाह पर रोक लगाकर न केवल किशोरियों की शिक्षा सुनिश्चित हुई, बल्कि मातृ-शिशु स्वास्थ्य और पोषण संकेतकों में भी सुधार हुआ है। बालिकाओं की स्कूली शिक्षा जितनी लंबी होती है, विवाह और मातृत्व की आयु उतनी ही बढ़ती है — जिससे परिवार अधिक सुरक्षित और सशक्त बनते हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • “बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान” की शुरुआत 10 मार्च 2024 को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में की गई थी।
  • इस अभियान में यूनिसेफ का सहयोग प्राप्त है।
  • बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 2006 के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों और 21 वर्ष से कम आयु के लड़कों का विवाह अवैध है।
  • भारत में बाल विवाह की घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक होती हैं, लेकिन जागरूकता के माध्यम से इनमें कमी लाई जा रही है।

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