बाणसागर बांध

मध्य प्रदेश राज्य के शहडोल जिले के देवलोंद गाँव के पास सोन नदी पर बना बाणसागर बाँध एक बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है। बांध का उद्देश्य सिंचाई और 435 मेगावाट पनबिजली उत्पादन है।
बाणसागर बांध की व्युत्पत्ति
बाणसागर बांध का नाम 7 वीं शताब्दी के संस्कृत विद्वान बाणभट्ट के नाम पर रखा गया है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे इसी क्षेत्र के निवासी थे, इस प्रकार इस परियोजना को बाणसागर कहा जाता था।
बाणसागर बांध का इतिहास
प्रारंभ में 1956 में केंद्रीय जल आयोग द्वारा बाणसागर नदी घाटी परियोजना को दिम्बा परियोजना कहा जाता था। 14 मई, 1978 को देवलोंद के वर्तमान स्थल पर बाणसागर बांध का निर्माण शुरू किया गया। बांध के निर्माण से पहले, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार की राज्य सरकारें एक समझौते के लिए तय हुई थीं, जहाँ उन्होंने 2: 1: 1 के अनुपात में खर्च को साझा किया था। बांध आखिरकार वर्ष 2006 में पूरा हो गया। बाणसागर बांध मध्य प्रदेश में 2,490 वर्ग किलोमीटर, उत्तर प्रदेश में 1,500 वर्ग किलोमीटर और बिहार में 940 वर्ग किमी क्षेत्र में सिंचाई करता है।
बाणसागर बांध का अवलोकन
बाणसागर बांध का जलग्रहण क्षेत्र 1864-648 वर्ग किमी है और यह 67 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बाणसागर परियोजना की आधारशिला 14 मई, 1978 को दिवंगत प्रधानमंत्री, मोरारजी देसाई द्वारा रखी गई थी। आखिरकार लगभग 40 वर्षों के बाद, 15 जुलाई, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बाणसागर बांध राष्ट्र को सौंप दिया गया।

Originally written on February 14, 2021 and last modified on February 14, 2021.

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