बाढ़ प्रभावित राज्यों के किसानों को पीएम-किसान की 21वीं किस्त से राहत

आज केंद्रीय कृषि मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना की 21वीं किस्त जारी की। यह किस्त विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड के उन किसानों के लिए प्राथमिकता दी गई है, जो हाल ही में आई बाढ़ और भूस्खलन से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं।
प्रभावित राज्यों के किसानों को सीधी मदद
इस अवसर पर तीनों राज्यों के कृषि मंत्री, सांसद, विधायक, वरिष्ठ अधिकारी और किसान संगठनों के प्रतिनिधि भी वर्चुअली जुड़े। कार्यक्रम में बताया गया कि 27 लाख से अधिक किसानों, जिनमें लगभग 2.7 लाख महिला किसान भी शामिल हैं, के बैंक खातों में सीधे ₹540 करोड़ से अधिक की राशि स्थानांतरित की गई है। प्रत्येक किसान को ₹2000 की किस्त मिली है, जिससे वे घर-परिवार की तत्काल जरूरतें पूरी कर सकेंगे, अगली बुवाई के लिए बीज और खाद खरीद सकेंगे तथा खेती फिर से शुरू करने का आत्मविश्वास पा सकेंगे।
प्राकृतिक आपदा में सरकार का संबल
कृषि मंत्री ने किसानों को आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार हर परिस्थिति में उनके साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि यह किस्त केवल आर्थिक मदद ही नहीं, बल्कि एक भरोसा भी है कि किसी किसान को प्राकृतिक आपदा की घड़ी में अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।
इस मौके पर एक लघु डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई गई, जिसमें बाढ़ प्रभावित किसानों की कठिनाइयों और सरकार द्वारा उठाए जा रहे राहत कदमों को प्रस्तुत किया गया। कृषि मंत्री ने यह भी याद दिलाया कि प्रधानमंत्री ने इस महीने की शुरुआत में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर व्यापक राहत पैकेज की घोषणा की थी — हिमाचल प्रदेश के लिए ₹1500 करोड़, पंजाब के लिए ₹1600 करोड़ और उत्तराखंड के लिए ₹1200 करोड़। इसके अलावा मृतक और घायल परिवारों को अनुग्रह सहायता और पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत भी मदद दी जा रही है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- PM-KISAN योजना 24 फरवरी 2019 को शुरू हुई थी, जिसके तहत छोटे और सीमांत किसानों को हर साल ₹6000 की सहायता तीन किस्तों में दी जाती है।
- आज की 21वीं किस्त के साथ इन तीन राज्यों में कुल वितरण ₹13,626 करोड़ से अधिक हो चुका है।
- इस योजना का लाभ अब तक पूरे देश के 11 करोड़ से अधिक किसानों तक पहुंच चुका है।
- आपदा प्रभावित क्षेत्रों में त्वरित वित्तीय सहायता किसानों की फसल उत्पादन क्षमता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।