बांग्लादेश में नए करेंसी नोट: शेख मुजीब की तस्वीरों की जगह ऐतिहासिक धरोहरें

बांग्लादेश ने हाल ही में नए करेंसी नोट जारी किए हैं, जिनमें देश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान की तस्वीरों को हटाकर हिंदू और बौद्ध मंदिरों, पारंपरिक कलाकृतियों और ऐतिहासिक स्थलों को दर्शाया गया है। यह कदम देश के राजनीतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है, विशेषकर उस समय जब देश की राजनीति एक अनिश्चित दौर से गुजर रही है।
नए नोटों में क्या-क्या बदला?
- टका 1000, 50 और 20 के नए नोटों पर अब शेख मुजीब की जगह हिंदू और बौद्ध मंदिर, चित्रकार जैनुल आबेदीन की कला, और राष्ट्रीय शहीद स्मारक जैसी छवियां हैं।
- नए नोटों की छपाई बांग्लादेश बैंक के मुख्यालय से शुरू हुई है और अन्य शाखाओं में धीरे-धीरे जारी की जाएगी।
- नोटों पर अब किसी भी मानव चित्र को नहीं दिखाया जाएगा।
मुजीब की विरासत पर बढ़ते हमले
शेख मुजीब, जिन्होंने 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से स्वतंत्र कराया था, दशकों तक सभी करेंसी नोटों पर प्रमुख स्थान पर रहे। परंतु:
- फरवरी 2025 में ढाका स्थित उनकी ऐतिहासिक निवास—जो अब संग्रहालय बन चुका था—को प्रदर्शनकारियों ने जला दिया।
- 441 पाठ्यपुस्तकों में उनके नाम और योगदान को या तो हटा दिया गया है या कमतर आंका गया है।
- 2020 में कुस्टिया में उनकी प्रतिमा को भी क्षतिग्रस्त किया गया था।
वर्तमान सरकार की भूमिका और आलोचना
नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने यह निर्णय पिछले वर्ष घोषित किया था कि करेंसी नोटों में “इतिहास और पुरातात्विक वास्तुकला” को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद यह नया नोट डिज़ाइन लागू किया गया।
- सरकार का कहना है कि यह बदलाव संस्कृति और विरासत को सामने लाने की पहल है।
- आलोचकों का मानना है कि यह मुजीब की विरासत को मिटाने की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।
राजनीतिक संकट और भविष्य की आशंका
- शेख हसीना, मुजीब की बेटी और पूर्व प्रधानमंत्री, अभी भारत में निर्वासन में हैं और न्यायाधिकरण द्वारा नरसंहार के आरोपों में अभियुक्त बनाई गई हैं।
- सेना प्रमुख वाकर-उज-ज़मान अंतरिम सरकार को हटाने और चुनाव की बहाली की योजना बना रहे हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- शेख मुजीबुर रहमान 1971 में बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बने और 1975 में एक सैन्य तख्तापलट में मारे गए।
- ‘जय बांग्ला’ को 2020 में आधिकारिक राष्ट्रीय नारा घोषित किया गया था।
- बांग्लादेश के संविधान के अनुसार, सरकार भंग होने के 90 दिनों के भीतर चुनाव करवाना अनिवार्य है।
नए करेंसी नोट केवल आर्थिक साधन नहीं, बल्कि बांग्लादेश की पहचान, इतिहास और सत्ता संघर्ष का प्रतीक बन गए हैं। बांग्लादेश जिस तरह से अपने अतीत को फिर से परिभाषित कर रहा है, वह न केवल देश के भीतर सांस्कृतिक संघर्ष को दर्शाता है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए भी चिंता का विषय बन सकता है।