बांग्लादेश ने भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की
बांग्लादेश ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस लाने के अपने प्रयासों को तेज करते हुए भारत से उनका प्रत्यर्पण औपचारिक रूप से मांग लिया है। यह कदम अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) द्वारा सुनाई गई मौत की सजा के बाद आया है और ढाका की अंतरिम सरकार की ओर से यह अब तक की सबसे बड़ी कूटनीतिक पहल मानी जा रही है।
अंतरिम सरकार की औपचारिक कूटनीतिक कार्रवाई
नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने भारत को एक आधिकारिक पत्र भेजकर शेख हसीना की वापसी का अनुरोध किया है। यह कदम 17 नवंबर को दिए गए उस फैसले के बाद उठाया गया जिसमें अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने शेख हसीना को अनुपस्थित रहते हुए मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने पिछले वर्ष दिसंबर में बांग्लादेश के नोट वर्बल (कूटनीतिक पत्र) को स्वीकार करने की पुष्टि की थी, लेकिन तब कोई ठोस कार्रवाई नहीं की थी।
न्यायाधिकरण का फैसला और आरोपों का आधार
शेख हसीना के साथ उनके करीबी सहयोगी एवं पूर्व गृह मंत्री असादुज्जमान खान कमाल को भी अनुपस्थित रहते हुए मौत की सजा दी गई है। दोनों इस समय भारत में मौजूद बताए जा रहे हैं। वहीं, तीसरे आरोपी और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल मामून ने अदालत में पेश होकर अभियोजन पक्ष का सहयोग किया, जिसके चलते उन्हें केवल पाँच वर्ष की सजा दी गई। सभी पर आरोप है कि हसीना सरकार के पतन से पहले हुए जन आंदोलनों के दौरान प्रदर्शनकारियों पर राज्य प्रायोजित हिंसा की गई थी।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और जुलाई विद्रोह
अगस्त 2024 की शुरुआत में “जुलाई विद्रोह” के नाम से जाना जाने वाला छात्र-नेतृत्व वाला आंदोलन बांग्लादेश में फैल गया। इस एक महीने लंबे आंदोलन के दौरान अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के अनुसार लगभग 1,400 लोगों की मौत हुई थी। आंदोलन की तीव्रता बढ़ने के बाद 5 अगस्त 2024 को हसीना सरकार का पतन हो गया। इसके बाद मोहम्मद यूनुस पेरिस से लौटकर छात्र नेताओं के आमंत्रण पर अंतरिम प्रशासन का नेतृत्व संभालने आए।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- शेख हसीना को 17 नवंबर 2025 को अनुपस्थित रहते हुए मौत की सजा सुनाई गई।
- यह फैसला बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने दिया।
- पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल मामून को पाँच वर्ष की सजा मिली।
- जुलाई विद्रोह के बाद 5 अगस्त 2024 को हसीना सरकार गिर गई।
भारत की भूमिका और आगे की संभावनाएँ
भारत ने कहा है कि वह इस मामले के घटनाक्रम पर करीबी नजर रख रहा है और बांग्लादेश की शांति एवं स्थिरता के प्रति प्रतिबद्ध है। वहीं ढाका के कानूनी सलाहकारों ने संकेत दिया है कि यदि भारत प्रत्यर्पण पर सहमति नहीं देता है, तो वे मामला अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) तक ले जा सकते हैं। अंतरिम सरकार के अनुसार, शेख हसीना और असादुज्जमान खान कमाल अब “फरार दोषी” के रूप में दर्ज किए जा चुके हैं।