बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 21 साल की सजा
बांग्लादेश की राजधानी ढाका की एक विशेष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को तीन भ्रष्टाचार मामलों में दोषी पाते हुए कुल 21 साल की सजा सुनाई है। ये मामले सरकारी आवास योजना के तहत जमीन आवंटन में अनियमितताओं से जुड़े हैं। यह फैसला हसीना के पिछले वर्ष सत्ता से बेदखल होने के बाद देश में बढ़ते राजनीतिक और कानूनी संकट को और गहरा करता है।
अदालत का फैसला और सजा का विवरण
ढाका विशेष न्यायालय-5 ने 78 वर्षीय शेख हसीना को राजुक न्यू टाउन प्रोजेक्ट, पुरबाचल से संबंधित तीन अलग-अलग मामलों में सात-सात साल की कैद की सजा दी। तीनों सजाएँ एक के बाद एक चलेंगी, जिससे उनकी कुल सजा 21 वर्ष की हो गई। अदालत ने प्रत्येक मामले में एक लाख टका का जुर्माना भी लगाया है, जिसका भुगतान न करने पर अतिरिक्त कारावास का प्रावधान है।फैसले में कहा गया कि हसीना को सरकारी नियमों के विपरीत और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर भूमि आवंटित की गई थी।
परिवार के सदस्य और सह-अभियुक्त
शेख हसीना के पुत्र सजीब वाजेद जॉय और पुत्री सैमा वाजेद पुतुल को भी इन मामलों में पाँच-पाँच साल की सजा और आर्थिक दंड दिया गया है। कुल 20 अन्य अभियुक्तों में से अधिकांश को भी विभिन्न अवधियों की सजा मिली, जबकि एक कनिष्ठ अधिकारी को दोषमुक्त किया गया। केवल एक अभियुक्त अदालत में पेश हुआ और उसे तीन साल की कैद दी गई।इन मामलों की जाँच बांग्लादेश के भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने की थी और अदालत में 29 गवाहों के बयान दर्ज किए गए।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और प्रत्यर्पण की स्थिति
यह फैसला उस समय आया है जब कुछ दिन पहले ही शेख हसीना को छात्र आंदोलन पर हिंसक दमन के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। हसीना ने इन आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। अगस्त 2024 में बांग्लादेश छोड़ने के बाद से वे भारत में रह रही हैं।बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उनके प्रत्यर्पण के लिए भारत से औपचारिक अनुरोध किया है, जिस पर नई दिल्ली विचार कर रही है। इस बीच, सत्तारूढ़ अवामी लीग के अधिकतर शीर्ष नेता या तो गिरफ्तार हैं या देश छोड़ चुके हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- शेख हसीना बांग्लादेश की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं (2009–2024)।
- राजुक न्यू टाउन प्रोजेक्ट, ढाका का एक प्रमुख सरकारी आवासीय विकास प्रकल्प है।
- बांग्लादेश का भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (Anti-Corruption Commission) 2004 में गठित किया गया था।
- हसीना के पिता शेख मुजीबुर रहमान को “बंगबंधु” कहा जाता है और वे बांग्लादेश के संस्थापक थे।
राजनीतिक प्रभाव और आगे की दिशा
यह फैसला बांग्लादेश की राजनीति में अस्थिरता को और बढ़ा सकता है। हसीना की सरकार के पतन के बाद देश में न्यायिक कार्रवाइयों और राजनीतिक पुनर्गठन की प्रक्रिया तेज़ हो गई है। अवामी लीग के कमजोर पड़ने से नए राजनीतिक गठबंधनों के उभरने की संभावना है, परंतु लंबी कानूनी प्रक्रियाएँ और प्रत्यर्पण विवाद देश में अनिश्चितता को बनाए रख सकते हैं।