बांके बिहारी मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, हाई कोर्ट की कार्यवाही पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन स्थित ऐतिहासिक बांके बिहारी मंदिर को लेकर दायर जनहित याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों और उसमें प्रयुक्त “कठोर भाषा” पर नाराज़गी व्यक्त की है। शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025 को चुनौती देने वाली याचिका पर हाई कोर्ट में चल रही आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है।
पृष्ठभूमि और विवाद
- 21 जुलाई और 6 अगस्त 2025 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की एकल पीठ ने राज्य सरकार के अध्यादेश की आलोचना करते हुए इसे “पाप” तक कह दिया था।
- यह अध्यादेश मंदिर के प्रबंधन के लिए एक वैधानिक ट्रस्ट के गठन का प्रावधान करता है।
- राज्य सरकार ने मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेकर मंदिर के फंड का उपयोग मंदिर के चारों ओर पांच एकड़ भूमि अधिग्रहण और कॉरिडोर विकास के लिए करने का निर्णय लिया था।
सुप्रीम कोर्ट की आपत्तियां
- न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं आमतौर पर डिवीजन बेंच में सुनी जाती हैं, लेकिन इस मामले में एकल पीठ ने आदेश दिया।
- अदालत ने हाई कोर्ट के 21 जुलाई और 6 अगस्त के आदेशों में की गई टिप्पणियों पर रोक लगा दी।
- शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि ऐसे मामलों को डिवीजन बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करने पर विचार करें।
अंतरिम प्रबंधन समिति का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि फिलहाल अध्यादेश के तहत समिति का गठन स्थगित रहेगा और इसकी जगह एक अंतरिम समिति बनाई जाएगी, जिसमें —
- एक सेवानिवृत्त हाई कोर्ट जज अध्यक्ष होंगे,
- ज़िला कलेक्टर और अन्य स्थानीय अधिकारी शामिल होंगे,
- मंदिर के गोस्वामी प्रतिनिधि भी रहेंगे।यह समिति मंदिर के विकास और परिसर में कानून-व्यवस्था की देखरेख करेगी, ताकि 2022 में जन्माष्टमी के दौरान हुई भगदड़ जैसी घटनाएं न हों।
आगे की कानूनी प्रक्रिया
- शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को अध्यादेश को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट जाने की स्वतंत्रता दी।
- राज्य सरकार विधानसभा में अध्यादेश को विधेयक के रूप में पारित कराने की प्रक्रिया आगे बढ़ा सकती है।
- अदालत ने कहा कि वह अध्यादेश के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं कर रही, बल्कि सभी पक्षों के अधिकार सुरक्षित रखे जा रहे हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- बांके बिहारी मंदिर वृंदावन के सबसे प्रमुख और ऐतिहासिक कृष्ण मंदिरों में से एक है, जहां प्रतिदिन 20–30 हजार और सप्ताहांत पर 2–3 लाख श्रद्धालु आते हैं।
- मंदिर का वर्तमान प्रबंधन परंपरागत गोस्वामी परिवारों के पास है।
- उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या और काशी की तरह यहां भी आधुनिक सुविधाओं के साथ कॉरिडोर विकसित करना चाहती है।
- धार्मिक पर्यटन भारत में राजस्व का एक बड़ा स्रोत है, और बड़े मंदिरों के विकास को लेकर कई राज्यों में हाल के वर्षों में विवाद सामने आए हैं।
यह मामला धार्मिक परंपरा, सरकारी हस्तक्षेप और बुनियादी ढांचे के विकास — तीनों के बीच संतुलन बनाने की एक बड़ी कानूनी और सामाजिक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।