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मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले के दरांग में 13 दिसंबर को उमनगोट पारंपरिक नाव दौड़ और ट्राई-हिल्स एंसेंबल महोत्सव का भव्य समापन हुआ। यह दो दिवसीय उत्सव राज्य की पारंपरिक नदी-संस्कृति के पुनरुत्थान का प्रतीक बन गया, जिसमें स्थानीय कारीगरी, सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरणीय चेतना का अद्भुत समागम देखने को मिला।
नदी परंपराओं का पुनरुद्धार
12 दिसंबर को आरंभ हुए इस महोत्सव की शुरुआत पारंपरिक नावों की औपचारिक प्रस्तुति से हुई, जिनका संचालन स्थानीय समुदायों द्वारा किया गया। इन जलयानों ने न केवल पारंपरिक जल मार्ग कौशल को प्रदर्शित किया, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही नाव निर्माण कला को भी उजागर किया। दरांग एलाका के लोगों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ आगंतुकों और प्रतिभागियों का स्वागत किया, जिससे क्षेत्र की सांस्कृतिक आत्मा झलकती है।
अंतरराष्ट्रीय सहभागिता और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
महोत्सव के उद्घाटन दिवस पर ब्रिटिश डिप्टी हाई कमिशन से वेल्स सरकार की भारत प्रमुख मेघन ओ’रीगन सहित कई विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति रही। उमनगोट नदी के किनारे आयोजित सांस्कृतिक संध्या में जयंतिया हिल्स और आस-पास के क्षेत्रों की लोक नृत्य शैलियां, पारंपरिक परिधान और मौखिक परंपराएं मंचित की गईं, जिससे क्षेत्रीय सांस्कृतिक विविधता जीवंत हो उठी।
प्रतियोगिताएं और पारंपरिक जल क्रीड़ाएं
दूसरे दिन का मुख्य आकर्षण स्थानीय परंपराओं पर आधारित जल क्रीड़ाएं रहीं। पारंपरिक नाव दौड़, तैराकी, वॉटर पोलो, डाइविंग जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं, जिनमें समुदाय के लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इन प्रतियोगिताओं ने न केवल मनोरंजन प्रदान किया बल्कि नदी आधारित जीवनशैली और पारंपरिक कौशलों की प्रासंगिकता को भी पुनः रेखांकित किया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यह महोत्सव मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले के दरांग में आयोजित हुआ।
- उमनगोट नदी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और पारिस्थितिक पहचान का केंद्र है।
- महोत्सव का आयोजन राज्य की कला और संस्कृति विभाग द्वारा किया गया।
- पारंपरिक जल क्रीड़ाएं इस उत्सव का मुख्य हिस्सा थीं।
इस महोत्सव के माध्यम से राज्य सरकार ने नदी संरक्षण, सतत पर्यटन और स्थानीय आजीविका संवर्धन की प्रतिबद्धता को दोहराया। शिक्षा मंत्री लखमेन रिंबुई ने इसे एक ऐसा मंच बताया जो सांस्कृतिक धरोहर को पर्यावरणीय उत्तरदायित्व से जोड़ता है। उमनगोट महोत्सव की सफलता यह दर्शाती है कि मेघालय कैसे सांस्कृतिक पुनरुत्थान को सतत विकास के साथ एकीकृत कर रहा है।