बस्तर की पहचान: डंडामी माडिया जनजाति और बाइसन हॉर्न मड़िया नृत्य

बस्तर की पहचान: डंडामी माडिया जनजाति और बाइसन हॉर्न मड़िया नृत्य

छत्तीसगढ़ के दक्षिणी क्षेत्र बस्तर के मुख्यालय जगदलपुर में प्रवेश करते ही एक भव्य मूर्ति यात्रियों का स्वागत करती है — यह मूर्ति है बाइसन हॉर्न मड़िया नर्तकों की, जो इस क्षेत्र की आदिवासी सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। यह मूर्ति न केवल कलात्मक सौंदर्य को दर्शाती है, बल्कि डंडामी माडिया समुदाय की जीवंत परंपराओं और सांस्कृतिक गौरव को भी उजागर करती है, जो आज भी बस्तर के घने जंगलों में बसे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।

डंडामी माडिया और गोंड परंपरा की विरासत

डंडामी माडिया, जिन्हें मड़िया भी कहा जाता है, प्राचीन गोंडवाना क्षेत्र से जुड़ी गोंड जनजातीय परंपरा का हिस्सा हैं। ये मुख्यतः दरभा, टोकापाल, लोहंडीगुड़ा और दंतेवाड़ा क्षेत्रों में बसे हुए हैं। इनका जीवन जंगलों से गहरे रूप से जुड़ा होता है, जो उनकी आजीविका, धार्मिक विश्वासों और सामाजिक ढांचे को प्रभावित करता है। प्रकृति पूजन, पूर्वजों की आत्माओं की आराधना और सामूहिक अनुष्ठान इनके दैनिक जीवन के केंद्रीय तत्व हैं।

बाइसन हॉर्न मड़िया नृत्य का दृश्य वैभव

बाइसन हॉर्न मड़िया नृत्य इस समुदाय की सबसे प्रसिद्ध सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है। यह नृत्य आमतौर पर गांव के खुले मैदानों में पुरुषों और महिलाओं द्वारा सामूहिक रूप से प्रस्तुत किया जाता है। पुरुष नर्तक विशेष सींग के आकार की बांस की टोपी पहनते हैं, जिन्हें बाइसन के सींग, पंख और रंगीन कपड़ों से सजाया जाता है। उनके शरीर पर मनकों की मालाएं होती हैं और पैरों में बंधी पीतल की घंटियां हर कदम के साथ मधुर झंकार उत्पन्न करती हैं।

महिलाओं की पोशाक और अनुष्ठानिक भाव

महिला नर्तकाएं चटक रंग की हाथ से बुनी हुई साड़ियां पहनती हैं और चांदी तथा पीतल के भारी गहनों से सजी होती हैं। ₹1 से ₹10 के सिक्कों से बनी ज्वेलरी, बाजूबंद, कमरबंद और कभी-कभी पीतल का मुकुट, उनके परिधान को और भी विशिष्ट बनाता है। उनकी नृत्य मुद्राएं लयबद्ध और कोमल होती हैं, जो ढोल और बांसुरी की धुन पर कंधों की लहराती गति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। यह नृत्य उनके शिकार परंपरा, गांव के अनुष्ठानों और प्रकृति से गहरे संबंध का उत्सव है, जो विशेष रूप से माड़िया त्योहार के समय अपने चरम पर पहुंचता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • डंडामी माडिया जनजाति मध्य भारत की गोंड परंपरा का हिस्सा हैं।
  • बाइसन हॉर्न मड़िया नृत्य छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से जुड़ा हुआ है।
  • इस नृत्य में प्रयुक्त सींग की टोपी शिकार और जंगल जीवन की प्रतीक है।
  • माड़िया त्योहार इस नृत्य के बड़े स्तर पर आयोजन का मुख्य अवसर होता है।

डंडामी माडिया समुदाय का यह नृत्य परंपरा और पहचान का एक जीवंत प्रतीक है, जो आधुनिकता के प्रभाव के बावजूद आज भी जीवित है। यह सांस्कृतिक धरोहर न केवल उनके इतिहास और पूर्वजों की स्मृति को सहेजती है, बल्कि समकालीन बस्तर की आत्मा को भी प्रकट करती है।

Originally written on December 16, 2025 and last modified on December 16, 2025.

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