बदलते समुद्री पारिस्थितिकी में दक्षिणी राइट व्हेल का संघर्ष

दक्षिणी राइट व्हेल, जिनकी एक झलक पाना भी अधिकांश लोगों के लिए भाग्य की बात होती है, अब वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बन चुकी हैं। जब इन विशालकाय जीवों की पीठ पानी की सतह से थोड़ी झलकती है या उनकी पूंछ का चमकता दृश्य दिखाई देता है, तो यह नज़ारा उनकी दुर्गमता और अध्ययन की कठिनाई को दर्शाता है। लेकिन यही दुश्वारियां इन व्हेल्स को पर्यावरणीय संकेतक के रूप में बेहद महत्वपूर्ण बनाती हैं।
दक्षिणी राइट व्हेल: एक परिचय
दक्षिणी राइट व्हेल, बेलीन व्हेल समूह की एक प्रमुख प्रजाति है, जिसमें ब्लू, हंपबैक और फिन व्हेल भी शामिल हैं। ये व्हेल लगभग 17 मीटर लंबी हो सकती हैं और केवल दक्षिणी गोलार्ध में पाई जाती हैं — विशेष रूप से दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के तटों पर। दक्षिण अफ्रीका के हर्मनस शहर के पास हर वसंत में इनका आगमन हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है।
ये व्हेल हर दो से तीन साल में एक बार बछड़ा जन्म देती थीं, लेकिन हाल के वर्षों में इस चक्र में स्पष्ट बदलाव देखा गया है। जन्म दर में गिरावट का प्रमुख कारण उनके पारंपरिक भोजन क्षेत्रों — विशेष रूप से अंटार्कटिका के पास — में जलवायु परिवर्तन के चलते आए बदलाव हैं।
समुद्री पर्यावरण में बदलाव और व्हेल पर प्रभाव
समुद्री वैज्ञानिकों के अध्ययन बताते हैं कि दक्षिणी महासागर में समुद्री बर्फ की मात्रा 15% से 30% तक घट चुकी है। यह बर्फ अंटार्कटिक क्रिल (krill) के लिए अत्यंत आवश्यक है, जो दक्षिणी राइट व्हेल का प्रमुख आहार है। जैसे ही यह आहार घटता है, मादा व्हेल की ऊर्जा भंडारण क्षमता कम हो जाती है, जिससे उनके प्रजनन चक्र पर प्रभाव पड़ता है।
सैटेलाइट टैगिंग, त्वचा के नमूनों में स्थिर समस्थानिक विश्लेषण और शरीर की स्थिति के आकलन जैसे आधुनिक तरीकों से यह स्पष्ट हुआ है कि अब ये व्हेल पारंपरिक उच्च अक्षांशों की बजाय मध्यम अक्षांशों में, विशेष रूप से गर्म और ठंडे जल के मिलन बिंदुओं पर भोजन खोजने को मजबूर हो रही हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- दक्षिणी राइट व्हेल का नाम “राइट” इसलिए पड़ा क्योंकि वे शिकार के लिए “सही” मानी जाती थीं — धीमी, सतह पर तैरने वाली और मारे जाने पर पानी में तैरती थीं।
- दक्षिण अफ्रीका 1969 से हर साल वायव्रिक सर्वेक्षणों के जरिए इन व्हेल्स की निगरानी करता आ रहा है।
- बेलीन व्हेल्स दांतों के बजाय बालों जैसे फिल्टर से छोटे जीवों को छानकर खाती हैं।
- क्रिल, इनका प्रमुख भोजन, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का मूल स्तंभ माना जाता है और इसके घटने से कई समुद्री प्रजातियाँ प्रभावित होती हैं।