बड़वेल-नेल्लोर राजमार्ग और रेलवे मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं को कैबिनेट की मंजूरी: बुनियादी ढांचे को मिलेगा बड़ा प्रोत्साहन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 28 मई, 2025 को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में दो बड़े बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इनमें आंध्र प्रदेश में ₹3,653.10 करोड़ की लागत से बनने वाले बड़वेल-नेल्लोर चार-लेन राजमार्ग परियोजना और महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश में ₹3,399 करोड़ के दो रेलवे मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाएं शामिल हैं।
बड़वेल-नेल्लोर कॉरिडोर: आंध्र प्रदेश के औद्योगिक विकास की नई राह
इस चार-लेन राजमार्ग की कुल लंबाई 108.134 किमी होगी और इसे NH-67 और NH-16 पर DBFOT (डिजाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ऑपरेट-ट्रांसफर) मोड में बनाया जाएगा। यह परियोजना गोंपावरम गांव से शुरू होकर कृष्णपट्टनम पोर्ट जंक्शन तक जाएगी और तीन प्रमुख औद्योगिक कॉरिडोरों को जोड़ने का काम करेगी।
परियोजना से 33.9 किमी की दूरी की बचत होगी, जिससे माल परिवहन अधिक कुशल होगा और भारत के लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI) में सुधार होगा। इसके साथ ही लगभग 20 लाख प्रत्यक्ष और 23 लाख अप्रत्यक्ष मानव-दिवस का रोजगार सृजन भी होगा।
रेलवे मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाएं: यात्री और मालगाड़ियों की रफ्तार में वृद्धि
कैबिनेट ने रतलाम-नागदा के बीच तीसरी और चौथी लाइन तथा वर्धा-बल्लारशाह के बीच चौथी लाइन की मंजूरी भी दी। ये परियोजनाएं पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का हिस्सा हैं और लगभग ₹3,399 करोड़ की लागत से 2029-30 तक पूरी होंगी।
परियोजनाओं की कुल लंबाई 176 किमी होगी और ये लगभग 784 गांवों (लगभग 19.74 लाख जनसंख्या) को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी। इससे विशेष रूप से कोयला, सीमेंट, कृषि उत्पाद, कंटेनर, पेट्रोलियम उत्पादों आदि के परिवहन में सुविधा बढ़ेगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- DBFOT मोड: एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल जिसमें परियोजना का डिज़ाइन, निर्माण, वित्तपोषण, संचालन और हस्तांतरण निजी क्षेत्र द्वारा किया जाता है।
- NH-67 और NH-16: राष्ट्रीय राजमार्ग जो दक्षिण भारत में प्रमुख औद्योगिक और बंदरगाह क्षेत्रों को जोड़ते हैं।
- PM Gati Shakti योजना: बहु-मॉडल संपर्क के लिए सरकार की एक प्रमुख योजना, जिसका उद्देश्य बुनियादी ढांचे की योजनाओं को समन्वित तरीके से लागू करना है।
- LPI (Logistics Performance Index): विश्व बैंक द्वारा प्रकाशित एक सूचकांक जो देशों के लॉजिस्टिक्स की दक्षता को मापता है।
- कार्बन उत्सर्जन में कमी: रेलवे परियोजनाओं से हर साल 99 करोड़ किलोग्राम CO2 उत्सर्जन में कमी आएगी, जो 4 करोड़ पेड़ों के रोपण के बराबर है।
बड़वेल-नेल्लोर कॉरिडोर और रेलवे मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाएं भारत के परिवहन बुनियादी ढांचे को मजबूती देने की दिशा में निर्णायक कदम हैं। ये न केवल रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को गति देंगी, बल्कि टिकाऊ परिवहन, ईंधन की बचत और पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएंगी। यह निर्णय भारत को लॉजिस्टिक्स और परिवहन दक्षता में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।