बंगाल में दुर्लभ पक्षी ऑर्टोलन बंटिंग की एक दशक बाद फिर से sighting

पश्चिम बंगाल के दक्षिणी छोर पर स्थित बारुईपुर में हाल ही में एक अत्यंत दुर्लभ पक्षी की उपस्थिति ने पक्षी प्रेमियों और विशेषज्ञों में उत्सुकता जगा दी है। पूर्वी यूरोप से आने वाला यह पक्षी, ऑर्टोलन बंटिंग (Ortolan Bunting), आमतौर पर भारत में नहीं पाया जाता। पिछली बार इसे लगभग एक दशक पहले 2014 में सुंदरबनों के डोबांकी क्षेत्र में देखा गया था।
बारुईपुर में दो युवा ऑर्टोलन बंटिंग की उपस्थिति
आईटी पेशेवर और पक्षी विशेषज्ञ संदीप बिस्वास ने बारुईपुर के एक घास के मैदान में दो किशोर ऑर्टोलन बंटिंग देखे। यह स्थान हाल ही में बने सुधार गृह के पास स्थित है। बिस्वास ने बताया कि वह इस पक्षी को पहचानने वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं—इससे पहले भी कुछ पक्षी प्रेमियों ने इन पक्षियों की तस्वीरें ली थीं। संदेह होने पर उन्होंने इनकी तस्वीरें और वीडियो यूरोप के प्रसिद्ध बर्डफोरम प्लेटफॉर्म पर साझा की, जहां तीन अनुभवी यूरोपीय पक्षी विशेषज्ञों ने इन्हें ऑर्टोलन बंटिंग के रूप में पहचाना।
ऑर्टोलन बंटिंग की विशेषताएं और सामान्य प्रवास क्षेत्र
eBird वेबसाइट के अनुसार, ऑर्टोलन बंटिंग मुख्यतः यूरोप और मध्य एशिया के खुले और अर्ध-खुले कृषि क्षेत्रों, ढलानों, और झाड़ियों वाले पहाड़ी इलाकों में प्रजनन करता है। सर्दियों में ये पक्षी आमतौर पर अफ्रीका की ओर प्रवास करते हैं। भारत में इनके दिखने की घटनाएं बहुत ही दुर्लभ हैं।
बर्ड काउंट इंडिया से जुड़े अश्विन विश्वनाथन के अनुसार, भारत में अब तक कुछ ही बार इस पक्षी को देखा गया है—वह भी मुख्य रूप से ऊँचे हिमालयी क्षेत्रों या केरल जैसे इलाकों में। पूर्वी भारत में इसकी उपस्थिति को अपवाद माना जाता है। उनका मानना है कि शायद ये पक्षी प्रवास के दौरान अपने सामान्य मार्ग से भटक गए हों।
युवा और अपरिपक्व पक्षी
बिस्वास के अनुसार, बारुईपुर में देखे गए दोनों ऑर्टोलन बंटिंग किशोर अवस्था में हैं, जिससे उनके लिंग की पुष्टि करना संभव नहीं हो पाया। उन्होंने इन पक्षियों की आवाज़ें भी रिकॉर्ड कीं और विभिन्न कोणों से तस्वीरें लीं, ताकि पहचान में कोई भ्रम न रहे।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ऑर्टोलन बंटिंग एक यूरोपीय और मध्य एशियाई प्रवासी पक्षी है जो सर्दियों में आमतौर पर अफ्रीका की ओर जाता है।
- भारत में अब तक इसकी बहुत कम sightings हुई हैं—मुख्यतः उच्च हिमालय और केरल में।
- पश्चिम बंगाल में पिछली बार इसे 2014 में सुंदरबनों के डोबांकी क्षेत्र में देखा गया था।
- बारुईपुर में देखे गए पक्षी किशोर अवस्था में थे और संभवतः अपने प्रवास मार्ग से भटक गए थे।