फेफड़ों के कैंसर से लड़ाई: वायु प्रदूषण भी बन रहा है बड़ा खतरा

फेफड़ों के कैंसर से लड़ाई: वायु प्रदूषण भी बन रहा है बड़ा खतरा

नवंबर माह को वैश्विक रूप से “फेफड़ों के कैंसर जागरूकता माह” के रूप में मनाया जाता है। यह अभियान न केवल धूम्रपान के खतरों पर ध्यान केंद्रित करता है, बल्कि अब वायु प्रदूषण को भी एक उभरते और गंभीर जोखिम के रूप में रेखांकित किया जा रहा है। फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौतों में वायु गुणवत्ता की भूमिका को अब वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया जा चुका है।

वायु प्रदूषण: एक नया पर्यावरणीय कारक

अंतरराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान एजेंसी (IARC) ने बाहरी वायु प्रदूषण और सूक्ष्म कण (PM2.5) को ग्रुप 1 कार्सिनोजेन (कैंसरकारी तत्व) के रूप में वर्गीकृत किया है। ये सूक्ष्म कण फेफड़ों की गहराई तक प्रवेश कर सूजन, डीएनए क्षति और अंततः कैंसर जैसी स्थितियों को जन्म दे सकते हैं। यहां तक कि PM2.5 में हल्की वृद्धि भी धूम्रपान न करने वालों में भी फेफड़ों के एडेनोकार्सिनोमा के मामलों को बढ़ा सकती है।

व्यक्तिगत स्तर पर सुरक्षा के उपाय

यद्यपि नीति स्तर पर बदलाव अत्यंत आवश्यक हैं, फिर भी व्यक्ति अपनी सुरक्षा के लिए कई प्रभावी कदम उठा सकते हैं। धूम्रपान छोड़ना अब भी सबसे प्रभावी रोकथाम उपाय है। इसके अलावा:

  • घर के भीतर HEPA फिल्टर का उपयोग करना
  • जैव ईंधन के स्थान पर स्वच्छ ऊर्जा अपनाना
  • उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करना
  • स्मॉग वाले दिनों में N95 मास्क पहनना और घर के भीतर रहना

ये सभी उपाय वायु प्रदूषण के संपर्क को कम कर सकते हैं।

सरकारी नीतियां और जनस्वास्थ्य उपाय

राष्ट्रीय और स्थानीय सरकारें फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को कम करने में अहम भूमिका निभाती हैं। निम्नलिखित नीतियां महत्वपूर्ण हैं:

  • स्वच्छ परिवहन को बढ़ावा देना
  • औद्योगिक उत्सर्जन मानकों को कठोर बनाना
  • नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना
  • शहरों में हरित क्षेत्रों का विस्तार

जहाँ इन नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू किया गया है, वहाँ प्रदूषण से संबंधित कैंसर दरों में गिरावट दर्ज की गई है। इसके साथ ही जनजागरूकता अभियान, नियमित स्वास्थ्य जांच और प्रारंभिक पहचान कार्यक्रम जीवन रक्षक सिद्ध हो सकते हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • वायु प्रदूषण और PM2.5 को IARC द्वारा मानव के लिए कैंसरकारी घोषित किया गया है।
  • वैश्विक फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मौतों में से लगभग 18% वायु प्रदूषण से जुड़ी हैं।
  • 50–80 वर्ष की आयु के भारी धूम्रपान इतिहास वाले लोगों के लिए वार्षिक लो-डोज़ सीटी स्कैन की सिफारिश की जाती है।
  • बायोमास ईंधन के स्थान पर स्वच्छ ऊर्जा अपनाने से इनडोर प्रदूषण संबंधी कैंसर जोखिम कम होता है।

जागरूकता और रोकथाम का महत्व

2025 का फेफड़ों के कैंसर जागरूकता माह इस तथ्य को रेखांकित करता है कि केवल तंबाकू छोड़ना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि पर्यावरणीय खतरों से भी निपटना आवश्यक है। आज विश्व का कोई प्रमुख शहर WHO के वायु गुणवत्ता मानकों को पूर्णतः नहीं पूरा करता, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। इस दिशा में सरकारों, उद्योगों और आम नागरिकों को मिलकर काम करना होगा।

Originally written on November 1, 2025 and last modified on November 1, 2025.

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