फिलिस्तीन को लेकर भारत की भूमिका: ऐतिहासिक विरासत और वर्तमान चुनौती

फिलिस्तीन को लेकर भारत की भूमिका: ऐतिहासिक विरासत और वर्तमान चुनौती

फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, पुर्तगाल और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों द्वारा हाल ही में फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देना वैश्विक कूटनीति में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 150 से अधिक देश अब फिलिस्तीन की राज्य मान्यता का समर्थन कर चुके हैं। ऐसे समय में भारत का रुख, जिसकी ऐतिहासिक भूमिका हमेशा न्याय, स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के पक्ष में रही है, एक महत्वपूर्ण प्रश्नचिह्न के रूप में उभरा है।

भारत की ऐतिहासिक नैतिक दृष्टि

भारत ने 18 नवम्बर 1988 को फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देकर एक नैतिक और सैद्धांतिक निर्णय लिया था। इससे पहले 1974 में भारत ने फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (PLO) को मान्यता दी थी। भारत ने हमेशा दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया है, जिसमें फिलिस्तीन को आत्मनिर्णय का अधिकार और इज़राइल के साथ शांतिपूर्ण सहअस्तित्व की बात की जाती रही है।
स्वतंत्रता से पहले भारत ने रंगभेद दक्षिण अफ्रीका का विरोध किया, अल्जीरिया की स्वतंत्रता के पक्ष में वैश्विक स्तर पर आवाज उठाई, और 1971 में बांग्लादेश के निर्माण के दौरान निर्णायक भूमिका निभाई। वियतनाम संकट में भी भारत ने शांति और मानवीय मूल्यों की पैरवी की। भारत की यह नैतिक स्थिति उसके संविधान के नीति-निर्देशक सिद्धांतों में भी प्रतिबिंबित होती है, जिसमें ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा’ को बढ़ावा देने की बात कही गई है।

वर्तमान में भारत की निष्क्रियता

2023 के अक्टूबर में जब इज़राइल और फिलिस्तीन के बीच नया संघर्ष आरंभ हुआ, तो भारत की प्रतिक्रिया असाधारण रूप से मौन और अप्रभावी रही। हमास के हमले के जवाब में इज़राइल ने जिस पैमाने पर सैन्य कार्रवाई की, उससे गाज़ा की नागरिक आबादी को भयावह मानवीय संकट का सामना करना पड़ा। अब तक 55,000 से अधिक फिलिस्तीनी नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिनमें 17,000 बच्चे शामिल हैं।
इस विनाशकारी परिस्थिति में भी भारत ने न तो कोई निर्णायक नैतिक बयान दिया, न ही किसी प्रकार की मानवतावादी पहल की। इसके विपरीत, भारत ने हाल ही में इज़राइल के साथ एक द्विपक्षीय निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए और एक अत्यधिक विवादास्पद इज़राइली मंत्री की मेज़बानी की, जो बार-बार फिलिस्तीन विरोधी बयान देकर वैश्विक आलोचना का केंद्र बने हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • भारत ने 18 नवम्बर 1988 को फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी थी।
  • संयुक्त राष्ट्र के 193 में से 150+ देश फिलिस्तीन को राज्य मान्यता दे चुके हैं।
  • भारत ने 1974 में फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (PLO) को आधिकारिक मान्यता दी थी।
  • भारत आज भी संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में सबसे बड़ा योगदानकर्ता देशों में से एक है।
Originally written on September 26, 2025 and last modified on September 26, 2025.

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