फिजी में इज़राइल खोलेगा दूतावास: प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती कूटनीतिक सक्रियता
इज़राइल ने 2026 में फिजी में अपना दूतावास खोलने की घोषणा की है, जो प्रशांत क्षेत्र में उसकी कूटनीतिक उपस्थिति को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्णय फिजी द्वारा यरुशलम में अपना दूतावास शुरू करने के कुछ ही महीने बाद सामने आया है, जिसने फिजी को उन गिनी-चुनी देशों की सूची में शामिल कर दिया है जो इस विवादास्पद शहर में अपने दूतावास स्थापित कर चुके हैं।
यरुशलम में फिजी का दूतावास और इज़राइल की प्रतिक्रिया
सितंबर 2025 में फिजी ने आधिकारिक रूप से यरुशलम में अपना दूतावास खोला। इस प्रकार फिजी एशिया-प्रशांत क्षेत्र का दूसरा देश बन गया जिसने यरुशलम में दूतावास स्थापित किया, इससे पहले पापुआ न्यू गिनी ने 2023 में यह कदम उठाया था। अमेरिका, ग्वाटेमाला, होंडुरास, कोसोवो और पराग्वे जैसे देशों के साथ अब फिजी भी उन देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने इज़राइल के इस विवादित शहर में आधिकारिक कूटनीतिक उपस्थिति दर्ज करवाई है।
इज़राइल ने फिजी के इस निर्णय का स्वागत किया और इसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन में वृद्धि के संकेत के रूप में देखा।
यरुशलम विवाद और वैश्विक कूटनीति
यरुशलम दशकों से इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष का केंद्र रहा है। 1967 के युद्ध में इज़राइल ने पूर्वी यरुशलम पर कब्जा कर लिया था और बाद में इसे अपने देश में मिला लिया, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अब तक मान्यता नहीं दी है। अधिकांश देश अपने दूतावास तेल अवीव में बनाए रखते हैं ताकि वे इस विवाद में निष्पक्ष बने रहें।
इज़राइल यरुशलम को अपनी “अखंड और शाश्वत राजधानी” मानता है, जबकि फिलिस्तीनी प्राधिकरण पूर्वी यरुशलम को अपने भविष्य के देश की राजधानी मानता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- इज़राइल 2026 में फिजी में दूतावास खोलेगा।
- फिजी ने 2025 में यरुशलम में अपना दूतावास खोला।
- अधिकांश देश यरुशलम की विवादित स्थिति के कारण अपने दूतावास तेल अवीव में रखते हैं।
- पापुआ न्यू गिनी पहला एशिया-प्रशांत देश था जिसने 2023 में यरुशलम में दूतावास खोला।
इज़राइल की ओर से फिजी में दूतावास खोलना प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है। यह कदम इज़राइल की पारंपरिक कूटनीतिक सीमाओं से बाहर निकल कर नए साझेदारों की तलाश को दर्शाता है। फिजी की सक्रियता और यरुशलम में दूतावास खोलने का निर्णय उसे एक प्रतीकात्मक रूप से महत्त्वपूर्ण समूह का हिस्सा बनाता है, जो वैश्विक कूटनीतिक मानचित्र पर प्रशांत क्षेत्र की भूमिका को रेखांकित करता है।