फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सरकार की नई योजना

भारत सरकार ने फार्मास्युटिकल और मेडटेक (Pharma-MedTech) क्षेत्र को नवाचार आधारित और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के उद्देश्य से एक महत्त्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की है। इस योजना का नाम “फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा” (Promotion of Research and Innovation in Pharma-MedTech Sector) है। सरकार का उद्देश्य है कि यह क्षेत्र केवल उत्पादन केंद्र न रहकर अनुसंधान और विकास में भी अग्रणी भूमिका निभाए।
योजना की रूपरेखा और वित्तीय सहायता
सरकार ने इस योजना के लिए ₹5,000 करोड़ की राशि स्वीकृत की है। इसका उद्देश्य लगभग 300 अनुसंधान परियोजनाओं को सहायता प्रदान करना है, जिससे ₹11,000 करोड़ से अधिक का कुल अनुसंधान निवेश उत्पन्न होने की संभावना है। ये परियोजनाएं नई दवाओं, जटिल जेनेरिक्स, बायोसिमिलर्स और नवीन मेडिकल उपकरणों पर केंद्रित होंगी।
परियोजनाओं को दो चरणों में वर्गीकृत किया गया है:
- प्रारंभिक चरण (Early-stage): इसमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) एवं स्टार्टअप्स को ₹9 करोड़ तक की परियोजनाओं के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई है। इनमें ₹1 करोड़ तक की लागत पर 100% और ₹1 करोड़ से ऊपर की लागत पर 50% तक वित्तीय सहायता दी जाएगी, अधिकतम ₹5 करोड़ तक।
- विकसित चरण (Later-stage): इन परियोजनाओं की लागत ₹285 करोड़ तक हो सकती है, जिसमें सरकार द्वारा अधिकतम ₹100 करोड़ तक सहायता दी जा सकती है। इस श्रेणी में 35% तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी, जो कुछ विशिष्ट प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में 50% तक बढ़ाई जा सकती है।
उद्योग और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग
इस योजना के अंतर्गत विशेष प्रावधान किए गए हैं जिससे उद्योग, MSMEs और स्टार्टअप्स को देश के प्रतिष्ठित शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इससे ज्ञान हस्तांतरण, तकनीकी सहयोग और व्यावसायिक नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यह योजना भारत सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अधीन फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा संचालित है।
- कुल ₹5,000 करोड़ में से ₹4,250 करोड़ नवाचार और अनुसंधान परियोजनाओं के लिए आरक्षित हैं।
- इस योजना के तहत 7 राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थानों (NIPERs) में उत्कृष्टता केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे।
- रणनीतिक प्राथमिकता वाले क्षेत्र जैसे दुर्लभ बीमारियाँ, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध, और महामारीजन्य रोगों पर विशेष ध्यान दिया गया है।