फरवरी 2026 से व्हाट्सऐप-टेलीग्राम जैसी ऐप्स में अनिवार्य होगा सिम बाइंडिंग सिस्टम
दूरसंचार विभाग (DoT) ने प्रमुख मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स व्हाट्सऐप, टेलीग्राम, सिग्नल और स्नैपचैट को 90 दिनों के भीतर अनिवार्य सिम बाइंडिंग लागू करने का निर्देश दिया है। यह नियम फरवरी 2026 से प्रभावी होगा, जिसके तहत यदि उपयोगकर्ता का पंजीकृत सिम कार्ड हटाया, बदला या निष्क्रिय किया जाता है, तो संबंधित ऐप स्वतः निष्क्रिय हो जाएगी। साथ ही, इन ऐप्स के वेब संस्करण हर छह घंटे में स्वचालित रूप से लॉगआउट होंगे और उपयोगकर्ताओं को दोबारा क्यूआर-आधारित प्रमाणीकरण करना होगा।
सिम बाइंडिंग क्या है और कैसे काम करेगी
सिम बाइंडिंग का अर्थ है कि कोई भी मैसेजिंग ऐप लगातार यह सत्यापित करेगी कि पंजीकरण के समय उपयोग किया गया मूल सिम कार्ड सक्रिय और फोन में मौजूद है। वर्तमान में ऐप्स केवल एक बार, अकाउंट सेटअप के दौरान, उपयोगकर्ता की पहचान सत्यापित करती हैं। “टेलीकम्युनिकेशन साइबरसिक्योरिटी अमेंडमेंट रूल्स 2025” के तहत अब इन ऐप्स को “टेलीकम्युनिकेशन आइडेंटिफायर यूजर एंटिटीज़” की श्रेणी में रखा गया है, जिससे उन पर अधिक सख्त निगरानी और जवाबदेही लागू होगी।
नियम के पीछे तर्क और उद्योग का समर्थन
अधिकारियों का मानना है कि मौजूदा व्यवस्था का दुरुपयोग साइबर अपराध, धोखाधड़ी और अंतरराष्ट्रीय जालसाजी में किया जा रहा है। सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि एक बार की सत्यापन प्रक्रिया में सुरक्षा की खामियां रह जाती हैं। लगातार सिम सत्यापन से धोखाधड़ी के मामले कम होने की संभावना है, क्योंकि इससे ऐप की गतिविधियाँ सत्यापित मोबाइल पहचान से जुड़ी रहेंगी।
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की चिंताएँ
डिजिटल कंपनियों ने इस नियम की व्यवहारिकता और प्रभावशीलता पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि कई अपराधी फर्जी दस्तावेज़ों से सिम कार्ड प्राप्त करते हैं, इसलिए यह नियम अपराध पूरी तरह नहीं रोक पाएगा। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इसे नियामकीय अतिरेकी हस्तक्षेप बताया है, जो फिनटेक, सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है। कंपनियों को अब भारतीय बाजार के लिए विशेष रूप से अपने सिस्टम का पुनर्निर्माण करना होगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- सिम बाइंडिंग फरवरी 2026 से सभी मैसेजिंग ऐप्स के लिए अनिवार्य होगी।
- वेब संस्करणों से उपयोगकर्ताओं को हर छह घंटे में स्वचालित रूप से लॉगआउट किया जाएगा।
- नए नियमों के तहत ऐप्स को “टेलीकम्युनिकेशन आइडेंटिफायर यूजर एंटिटीज़” माना गया है।
- मुख्य चिंताएँ हैं तकनीकी व्यवहार्यता, उपयोगकर्ता असुविधा और नियामकीय जटिलता।
उपयोगकर्ताओं और संचालन पर प्रभाव
यह निर्देश उन उपयोगकर्ताओं को प्रभावित कर सकता है जो बार-बार यात्रा करते हैं या कई उपकरणों पर एक ही ऐप का उपयोग करते हैं। विदेशी सिम कार्ड लगाने पर उपयोगकर्ताओं को दोबारा पंजीकरण करना पड़ सकता है, जिससे पेशेवर और व्यावसायिक संचार में बाधा आ सकती है। केवल व्हाट्सऐप पर ही भारत में 500 मिलियन से अधिक उपयोगकर्ता हैं, इसलिए इस नियम को लागू करने के लिए कंपनियों को बड़े पैमाने पर तकनीकी पुनर्विकास करना होगा।