प्रो. रवींद्र कोरिसेट्टार को राज्योत्सव पुरस्कार, धारवाड़ से पुरातत्व विज्ञान में योगदान के लिए सम्मान
कर्नाटक के वरिष्ठ पुरातत्वविद् और धारवाड़ निवासी प्रो. रवींद्र कोरिसेट्टार को वर्ष 2025 का राज्योत्सव पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह सम्मान उन्हें उनके चार दशकों से अधिक के विशिष्ट अनुसंधान कार्य, शैक्षिक योगदान और भारतीय प्रागैतिहासिक अध्ययन को वैश्विक स्तर तक पहुँचाने के लिए दिया गया है।
पुरातत्व और इतिहास के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान
प्रो. कोरिसेट्टार वर्तमान में कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ के इतिहास और पुरातत्व विभाग में यूजीसी एमेरिटस फेलो हैं। उनका शोध कार्य अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त जर्नल्स जैसे साइंस (2007) और प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़ ऑफ अमेरिका में प्रकाशित हो चुका है। उन्होंने भारत और विदेशों में कई पुस्तकों का लेखन और संपादन किया है।
उनकी प्रमुख शोध परियोजनाओं में कश्मीर के जलवायु इतिहास पर ‘मल्टीडिसिप्लिनरी कश्मीर पेलियोक्लाइमेट प्रोजेक्ट’, फोर्ड फाउंडेशन द्वारा समर्थित कंप्यूटर एप्लिकेशन आधारित ‘भारतीय उपमहाद्वीप के प्रागैतिहासिक स्थलों का गजेटियर’, और ‘मध्य कृष्णा बेसिन की भू-आकृति और भू-पुरातत्व’ शामिल हैं।
शैक्षिक और संस्थागत योगदान
1951 में जन्मे प्रो. कोरिसेट्टार ने पुणे विश्वविद्यालय और बीजिंग स्थित INQUA से पुरातत्व और क्वाटरनरी स्टडीज़ में शिक्षा प्राप्त की। वे यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज में चार्ल्स वॉलेस-AIIT फेलो और स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन, वाशिंगटन डीसी में फुलब्राइट विज़िटिंग स्कॉलर रहे हैं।
उन्होंने बल्लारी और धारवाड़ में प्रागैतिहासिक संग्रहालयों की स्थापना की है। वे कर्नाटक विश्वविद्यालय में नए स्कूलों की स्थापना और इसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने के प्रस्ताव तैयार करने वाली समितियों के सदस्य भी रहे हैं। साथ ही, राज्य स्तरीय सर्व शिक्षा अभियान समिति में भी उन्होंने योगदान दिया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- राज्योत्सव पुरस्कार कर्नाटक सरकार द्वारा राज्य स्थापना दिवस (1 नवंबर) के अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है।
- प्रो. कोरिसेट्टार ने ASI, UGC, INQUA (UK) और इंडो-पैसिफिक प्रीहिस्ट्री एसोसिएशन (ऑस्ट्रेलिया) जैसे संस्थानों के साथ कार्य किया है।
- INQUA का पूर्ण नाम है: International Union for Quaternary Research।
- भारत के कई प्रागैतिहासिक स्थलों के दस्तावेजीकरण और संरक्षण में उनका अग्रणी योगदान रहा है।
प्रो. रवींद्र कोरिसेट्टार का यह सम्मान न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि भारतीय पुरातत्व अध्ययन और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में अनुसंधान की महत्ता को भी रेखांकित करता है। उनके साथ मुंबई-कर्नाटक क्षेत्र के अन्य 11 विभूतियों को भी विविध क्षेत्रों में राज्योत्सव पुरस्कार मिला है, जिससे यह क्षेत्र एक बार फिर अपनी सांस्कृतिक, साहित्यिक और वैज्ञानिक परंपरा की पहचान को सुदृढ़ करता है।