प्रोजेक्ट मौसाम: भारतीय समुद्री विरासत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुदृढ़ करने की पहल
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने नवंबर 2025 में नई दिल्ली में प्रोजेक्ट मौसाम की रूपरेखा को मजबूत करने के लिए एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला भारतीय समुद्री सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्स्थापित करने और हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी।
राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्देश्य
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था Project Mausam Thematic Framework Document को अंतिम रूप देने के लिए विशेषज्ञों से संरचित सुझाव प्राप्त करना। इसमें भाग लेने वाले इतिहास, पुरातत्व, समुद्री संस्कृति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञों ने परियोजना के सांस्कृतिक, समुद्री और धरोहर संबंधी पहलुओं की समीक्षा की तथा बहुपक्षीय कार्य योजना का प्रस्ताव रखा।
वित्तीय प्रावधान और उपयोग
ASI द्वारा इस कार्यशाला के लिए ₹30 लाख की राशि स्वीकृत की गई थी, जिसमें से ₹25,70,182 का व्यय हुआ। यह राशि स्थल व्यवस्था, विशेषज्ञ परामर्श और दस्तावेजीकरण कार्यों के लिए उपयोग की गई, जो परियोजना के अगले चरण की तैयारी में महत्वपूर्ण थे।
प्रोजेक्ट मौसाम का व्यापक दायरा
प्रोजेक्ट मौसाम का उद्देश्य है:
- हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के बीच ऐतिहासिक समुद्री सांस्कृतिक संबंधों को पुनर्जीवित करना
- UNESCO के लिए संयुक्त राष्ट्र राष्ट्रों की नामांकन प्रक्रियाओं को बढ़ावा देना
- संयुक्त शोध, विरासत का दस्तावेजीकरण, और
- भागीदार देशों में क्षमता निर्माण के कार्यक्रमों को साकार करना
यह पहल भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का माध्यम है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- प्रोजेक्ट मौसाम का फोकस है: हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सांस्कृतिक संबंध
- 2025 की राष्ट्रीय कार्यशाला नई दिल्ली में ASI द्वारा आयोजित की गई
- स्वीकृत राशि: ₹30 लाख, व्यय: ₹25.7 लाख
- परियोजना में संयुक्त नामांकन, शोध व क्षमता निर्माण शामिल हैं
संसद में सरकार का वक्तव्य
संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में लिखित उत्तर में इस कार्यशाला का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला भारत की अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक भागीदारी और समुद्री विरासत को बढ़ावा देने की दिशा में एक रणनीतिक पहल थी।
प्रोजेक्ट मौसाम भारत को हिंद महासागर के सांस्कृतिक इतिहास का केंद्र बनाते हुए, क्षेत्रीय एकता, शांति और सहयोग के विचार को सुदृढ़ करता है।