प्रेमलीला विट्ठलदास थ्रैक्रसे

प्रेमलीला विट्ठलदास थ्रैक्रसे

प्रेमलीला विट्ठलदास थ्रैक्रसे एक भारतीय शिक्षाविद् और गांधीवादी थीं। वह एक रचनात्मक विचारक और एक अच्छे संगठनकर्ता थे। जीवन में उसका मिशन गरीबों और निराश्रितों को बचाना था। प्रेमलीला हमेशा महात्मा गांधी की श्रद्धा थी। वह उसे अपना संत और धार्मिक गुरु मानती थी।

प्रेमलीला थ्रैक्रसे की रचनाएँ
प्रेमलीला विट्ठलदास थ्रैक्रसे शिक्षाविद् और परोपकारी सर विट्ठलदास थ्रैक्रसे की पत्नी थीं। जब 1925 में उनके पति की मृत्यु हुई, तब वह 31 वर्ष की थीं, फिर भी उन्होंने अपना काम जारी रखा, शिक्षा और परोपकार दोनों के क्षेत्र में और खुद को महिलाओं की शिक्षा के लिए समर्पित किया। सर विट्ठलदास थ्रैक्रसे के अधूरे काम को उनकी पत्नी लेडी प्रेमलीला थ्रैक्रसे ने निभाया, जिन्होंने होम साइंस में डिग्री कॉलेज की स्थापना के लिए उदारता से दान दिया। वह मुंबई में श्रीमती नाथीबाई दामोदर थ्रैक्रसे विमेंस यूनिवर्सिटी की पहली कुलपति बनीं।

प्रेमलीला कस्तूरबा गांधी राष्ट्रीय मेमोरियल ट्रस्ट की अध्यक्षा बनी और ग्रामीण भारत में रहने वाली लाखों गरीब महिलाओं और बच्चों के लिए अपना जीवन समर्पित कर काम करने और गांधीजी के सपनों को पूरा करने का प्रयास किया। उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा 1975 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

Originally written on March 13, 2019 and last modified on March 13, 2019.

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