प्राथमिकता ऋण मानदंडों में राहत: लघु वित्त बैंकों को विविधीकरण का अवसर

प्राथमिकता ऋण मानदंडों में राहत: लघु वित्त बैंकों को विविधीकरण का अवसर

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा लघु वित्त बैंकों (SFBs) के लिए प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (PSL) के नियमों में हाल ही में की गई ढील से इन बैंकों को नए क्षेत्रों में निवेश का अवसर मिला है। अब ये बैंक अपनी ऋण पुस्तिका में विविधता लाकर जोखिम को कम करने की दिशा में बेहतर योजनाएं बना सकते हैं।

नए नियमन से क्या बदलेगा?

पहले SFBs को अपने समायोजित शुद्ध बैंक ऋण (ANBC) का 75% प्राथमिकता क्षेत्र में देना अनिवार्य था। इसमें से 40% निर्धारित उप-क्षेत्रों में और 35% बैंकों की विशेषज्ञता वाले क्षेत्रों में। RBI के नए नियमों के अनुसार अब यह कुल PSL लक्ष्य 60% कर दिया गया है, जिसमें अतिरिक्त 35% घटाकर 20% कर दिया गया है।

बैंकों के लिए नए अवसर

इस बदलाव से SFBs के पास लगभग ₹40,000 करोड़ की अतिरिक्त राशि मुक्त हो गई है, जिसे वे निम्नलिखित सुरक्षित परिसंपत्तियों में लगा सकते हैं:

  • संपत्ति के विरुद्ध ऋण (Loan Against Property)
  • व्यक्तिगत ऋण
  • वाहन ऋण
  • म्यूचुअल फंड्स और शेयरों के विरुद्ध ऋण

इससे बैंकों को माइक्रोफाइनेंस जैसी उच्च जोखिम वाली श्रेणियों से बाहर निकलकर बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

बैंकिंग क्षेत्र की प्रतिक्रिया

  • अजय कंवल (MD & CEO, जन SFB): “यह बदलाव उन बैंकों के लिए राहत लेकर आया है जो पहले कठोर PSL लक्ष्य के कारण विविधीकरण नहीं कर पा रहे थे।”
  • आर. भास्कर बाबू (MD & CEO, सूर्योदय SFB): “ऋण पुस्तिका में विविधता आने से बैंकों को यूनिवर्सल बैंक बनने की दिशा में तैयारी करने का मौका मिलेगा।”
  • इंदरजीत कामोत्रा (MD & CEO, यूनिटी SFB): “यह RBI की उस दृष्टि के अनुरूप है, जिसके तहत SFBs को अलग पहचान दी गई थी। अब ये बैंक नए भौगोलिक क्षेत्रों और परिसंपत्तियों में विस्तार कर सकेंगे।”

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • PSL प्रमाणपत्र (PSLC): एक ऐसा साधन जिससे बैंक प्राथमिकता ऋण लक्ष्यों की पूर्ति में एक-दूसरे की सहायता करते हैं।
  • वर्तमान में भारत में SFBs की संख्या: कुल 11
  • यूनिवर्सल बैंक में रूपांतरण: RBI ने SFBs को स्वयं इच्छा से यूनिवर्सल बैंक में बदलने की अनुमति देने के मानदंड घोषित किए हैं।
  • PSL का उद्देश्य: कृषि, सूक्ष्म उद्योग और कमजोर वर्गों को ऋण उपलब्ध कराना।

निष्कर्ष

RBI का यह निर्णय लघु वित्त बैंकों के लिए एक रणनीतिक बदलाव है, जो न केवल उन्हें अपनी सेवाओं में विविधता लाने की अनुमति देता है, बल्कि उन्हें दीर्घकालिक स्थिरता और विकास की ओर भी अग्रसर करता है। यह कदम SFBs को भारतीय बैंकिंग प्रणाली में अधिक प्रभावशाली और विविधीकृत भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करेगा।

Originally written on June 25, 2025 and last modified on June 25, 2025.

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