प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (पीएम-विकास) योजना: अल्पसंख्यकों के समग्र विकास की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (PM VIKAS) योजना भारत सरकार की एक केंद्रीय क्षेत्र (Central Sector) पहल है, जिसका उद्देश्य छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों का सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण सुनिश्चित करना है। इस योजना का मुख्य फोकस कौशल विकास, महिला उद्यमिता को बढ़ावा देना और शिक्षा से वंचित युवाओं का पुनर्वास करना है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में जानकारी दी कि इस योजना के तहत लगभग 1.40 लाख लाभार्थियों के प्रशिक्षण हेतु आवंटन पत्र जारी किए जा चुके हैं, जो समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
कौशल विकास और रोजगार सृजन के उद्देश्य
पीएम-विकास योजना का लक्ष्य अल्पसंख्यक युवाओं की रोजगार क्षमता को सुदृढ़ करना है। इसके तहत युवाओं को बाजार की मांगों के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि उन्हें रोजगार या स्वरोजगार के अवसर प्राप्त हो सकें। प्रशिक्षण एजेंसियों को अनुबंध के अनुसार यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि प्रशिक्षित लाभार्थियों में से 75% को रोजगार मिले, जिनमें से 50% संगठित क्षेत्र में हों। इस पहल के माध्यम से अल्पसंख्यक युवाओं को आधुनिक रोजगार अवसरों से जोड़कर सतत आर्थिक विकास को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और संवर्धन
इस योजना का एक प्रमुख घटक भारत की पारंपरिक कलाओं, हस्तशिल्पों और सांस्कृतिक परंपराओं का संरक्षण है। योजना के तहत इन पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों का प्रलेखन, साहित्य का प्रसार और सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से प्रदर्शन किया जाता है। इससे न केवल इन कलाओं का अस्तित्व सुरक्षित रहता है बल्कि इससे जुड़े समुदायों के लिए आर्थिक अवसर भी सृजित होते हैं।
महिला सशक्तिकरण और उद्यमिता विकास
पीएम-विकास योजना में अल्पसंख्यक महिलाओं के लिए नेतृत्व और उद्यमिता विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसका उद्देश्य महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाना, आय के स्रोतों का विस्तार करना और आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करना है। यह पहल भारत सरकार की “महिला-प्रधान विकास” की नीति के अनुरूप है और लैंगिक समानता को सशक्त बनाती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- पीएम-विकास एक केंद्रीय क्षेत्र (Central Sector) योजना है।
- यह छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के लिए लागू है।
- योजना में 3% सीटें दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित हैं।
- प्रशिक्षण एजेंसियों को 75% प्लेसमेंट सुनिश्चित करना आवश्यक है, जिनमें से 50% संगठित क्षेत्र में होने चाहिए।
- अब तक लगभग 1.40 लाख लाभार्थियों के प्रशिक्षण हेतु आवंटन पत्र जारी किए गए हैं।
संरचित सहायता के माध्यम से आजीविका के अवसर
इस योजना के तहत गैर-पारंपरिक कौशलों में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लाभार्थियों को प्रशिक्षुता, वेतन आधारित रोजगार या स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए जाते हैं। साथ ही, उन्हें बाजार और ऋण सुविधाओं से जोड़ा जाता है ताकि वे अपने प्रशिक्षण को स्थायी आजीविका में बदल सकें। पीएम-विकास योजना न केवल अल्पसंख्यक समुदायों की आर्थिक भागीदारी को मजबूत करती है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित और सशक्त बनाती है।