प्रधानमंत्री मोदी को साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान: भारत-साइप्रस संबंधों में नया अध्याय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 16 जून 2025 को साइप्रस की सरकार द्वारा देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस III” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडुलाइड्स ने निकोसिया स्थित राष्ट्रपति भवन में एक विशेष समारोह में प्रदान किया।
“ऑर्डर ऑफ मकारियोस III”: क्या है यह सम्मान?
यह सम्मान साइप्रस के प्रथम राष्ट्रपति आर्चबिशप मकारियोस III के नाम पर स्थापित किया गया है और केवल राष्ट्राध्यक्षों तथा विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय व्यक्तित्वों को उनकी सेवाओं के लिए दिया जाता है।सम्मान के विभिन्न स्तर होते हैं, जिनमें ‘ग्रैंड क्रॉस’ सबसे उच्च स्थान पर है। प्रधानमंत्री मोदी को दिया गया यह सम्मान, भारत-साइप्रस के बीच गहरे संबंधों और आपसी विश्वास का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन और प्रतिबद्धता
सम्मान प्राप्त करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,
“मैं इस सम्मान को भारत के 1.4 अरब नागरिकों और भारत-साइप्रस मित्रता को समर्पित करता हूं। हमारा साझेदारी भविष्य में और भी ऊँचाइयों को छुएगी।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है, और साइप्रस जैसे साझेदार देशों का योगदान इस दिशा में अहम रहेगा।
भारत-साइप्रस के संबंधों का बढ़ता दायरा
- साइप्रस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन दिया है।
- भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए भी साइप्रस ने NSG और IAEA में भारत का समर्थन किया।
- आर्थिक साझेदारी को और मजबूती देने के लिए दोनों देशों के प्रमुख CEO के साथ बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने इनोवेशन, एनर्जी और टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में संभावनाओं की बात की।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- “ग्रैंड क्रॉस ऑफ ऑर्डर ऑफ मकारियोस III” साइप्रस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जो केवल राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है।
- यह प्रधानमंत्री मोदी की पहली साइप्रस यात्रा थी, और यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली आधिकारिक यात्रा है।
- साइप्रस 2026 की पहली छमाही में यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता करेगा, जिससे भारत-यूरोप संबंधों में इसकी भूमिका अहम होगी।
- साइप्रस, इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) में एक रणनीतिक केंद्र के रूप में उभर रहा है।
रणनीतिक महत्व और तुर्की एंगल
साइप्रस एक यूरोपीय संघ का सदस्य है जो एशिया में स्थित है, और इसका भू-राजनीतिक महत्व भारत के लिए लगातार बढ़ रहा है।तुर्की और साइप्रस के बीच दशकों पुराना विवाद रहा है—जहां तुर्की ने उत्तर साइप्रस पर कब्जा कर वहां एक स्वतंत्र गणराज्य घोषित किया है, जिसे केवल तुर्की मान्यता देता है।दूसरी ओर, तुर्की ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन किया है और हाल के समय में भारत पर हुए ड्रोन हमलों में तुर्की निर्मित तकनीक शामिल रही है, जिससे भारत और तुर्की के संबंधों में तनाव बढ़ा है।
इस पृष्ठभूमि में, प्रधानमंत्री मोदी का साइप्रस दौरा केवल एक सांस्कृतिक और कूटनीतिक संकेत ही नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी का स्पष्ट संकेत है। साइप्रस की भौगोलिक स्थिति और भारत के लिए उसकी दीर्घकालिक विश्वसनीयता, दोनों ही भारत की वैश्विक रणनीति में इसे एक महत्वपूर्ण भागीदार बनाते हैं।
यह सम्मान और दौरा, भारत-साइप्रस संबंधों को एक नई ऊँचाई तक ले जाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।