“प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना”: भारत की ‘नीली क्रांति’ का सफल मॉडल

भारत की “नीली क्रांति” (Blue Revolution) की परिकल्पना को साकार करने में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) एक निर्णायक कदम साबित हुई है। 10 सितंबर 2020 को आरंभ की गई यह योजना, अब अपने पांचवें वर्ष में प्रवेश करते हुए, मत्स्य क्षेत्र को पारिस्थितिक रूप से टिकाऊ, आर्थिक रूप से सशक्त और सामाजिक रूप से समावेशी बनाने की दिशा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही है।
उत्पादन, नवाचार और बुनियादी ढांचे में उछाल
PMMSY के माध्यम से भारत में मत्स्य उत्पादन वर्ष 2024–25 तक 195 लाख टन तक पहुँच चुका है, जो 2013–14 की तुलना में 104% की वृद्धि दर्शाता है। विशेषकर अंतर्देशीय (inland) मत्स्य पालन में 142% की वृद्धि ने भारत को विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश बना दिया है।
इस योजना ने न केवल उत्पादन में वृद्धि की है, बल्कि वैश्विक निर्यात में भी भारत की स्थिति को मजबूत किया है। मछली निर्यात में निरंतर वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि यह योजना भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के योग्य बना रही है।
स्थानीय स्तर पर परिवर्तन की मिसालें
उत्तराखंड के कपिल तलवार जैसे मत्स्य पालकों की कहानियाँ योजना के प्रभाव को दर्शाती हैं। कोविड-19 के दौरान नौकरी गंवाने के बाद उन्होंने राज्य की सबसे बड़ी बायोफ्लॉक यूनिट स्थापित की। 40% सब्सिडी और तकनीकी सहायता से न केवल उन्होंने अपनी आजीविका पुनः प्राप्त की, बल्कि कई ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी प्रदान किया।
इसी प्रकार, कर्नाटक के मांड्या जिले में बनाए गए 306 तालाबों से 45,000 से अधिक मछुआरों को लाभ हुआ, जिन्हें पिछले वर्ष ₹5 करोड़ से अधिक की सहायता मिली। मैसूरु में 2024–25 के दौरान लगभग 40 लाख फिंगरलिंग छोड़े गए और 742 लाभार्थियों को ₹5.1 करोड़ की सब्सिडी दी गई।
आर्थिक सहायता और डिजिटलीकरण
- योजना के अंतर्गत अब तक ₹21,274 करोड़ के मत्स्य विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
- ₹9,189 करोड़ की केंद्रीय सहायता में से ₹5,587 करोड़ से अधिक राशि जारी की जा चुकी है।
- ₹17,210 करोड़ की राशि से बंदरगाह, कोल्ड स्टोरेज और बाजार जैसी पोस्ट-हार्वेस्ट सुविधाओं में निवेश किया गया है।
- 2024 में शुरू की गई सह-योजना “प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना” (PM-MKSSY) ने बीमा, औपचारिकरण और वैल्यू चेन को मजबूत करने पर विशेष बल दिया।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- योजना की शुरुआत: 10 सितंबर 2020
- अब तक मत्स्य उत्पादन: 195 लाख टन (2024–25)
- डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण: 26 लाख से अधिक मत्स्य पालक और माइक्रो उद्यम
- वितरित KCC कार्ड्स: 4.76 लाख से अधिक
- वित्तीय सहायता: ₹3,214 करोड़ से अधिक वितरित