पेशवा माधवराव

पेशवा नारायण राव की हत्या उसके चाचा रघुनाथ राव के सैनिकों द्वारा की गई थी, जो सत्ता के लालची थे। यद्यपि यह कहा जाता है कि रघुनाथ की पत्नी, आनंदी बाई द्वारा वास्तव में आदेश दिए गए थे कि वे रक्त-धब्बा की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए अपने रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को दूर कर सकें।

अपने सरासर पतन को देखते हुए, नाना फड़नवीस के अधीन मराठा सरदारों ने नारायण राव के पुत्र, माधव राव नारायण को पेशवा घोषित किया। पेशवा माधवराव अपने पिता की मृत्यु के बाद मात्र 17 वर्ष की उम्र में पेशवा बने। उनके पेशवा बनते समय मराठा शक्ति छिन्न-भिन्न हो चुकी थी, लेकिन उन्होने अपनी सूझ-बूझ से मराठा साम्राज्य फिर खड़ा किया। मैसूर के शासक हैदर अली को पराजित कर दिया गया और हैदराबाद के निजाम को भी हराया। उन्होने राजपूताना पर फिर से अधिकार कर लिया। जाटों का भी दमन किया। रूहेलखण्ड में मराठा सेना ने अधिकार कर के भारी तबाही मचाई और वहाँ के शाही परिवार को कैद कर लिया। किन्तु 1772 में माधवराव की मात्र 29 वर्ष की आयु में मृत्यु हो गयी। मराठों के लिए पानीपत की पराजय उतनी हानिकारक नहीं रही जितनी पेशवा माधवराव की मृत्यु।
माधवराव की मृत्यु के बाद उत्तर में सिंधिया और दक्षिण में नाना फड़नवीस ताकतवर रहे। नाना फड़नवीस की मृत्यु के बाद मराठों का पतन हो गया।

Originally written on May 2, 2019 and last modified on May 2, 2019.

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