पेरिस स्थित यूनेस्को मुख्यालय में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण

पेरिस स्थित यूनेस्को मुख्यालय में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण

भारत ने संविधान दिवस के अवसर पर पेरिस स्थित यूनेस्को मुख्यालय में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया। यह ऐतिहासिक आयोजन अंबेडकर की वैश्विक बौद्धिक विरासत की प्रतीकात्मक मान्यता के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर को भारत के संविधान निर्माता को समर्पित एक सार्थक श्रद्धांजलि बताया।

पेरिस में अनावरण का महत्व

यह आयोजन यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधिमंडल द्वारा आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य डॉ. अंबेडकर के योगदान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान देना था। भारत के राजदूत और यूनेस्को में स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी. शर्मा ने प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर विभिन्न देशों के राजनयिक, यूनेस्को के वरिष्ठ अधिकारी और फ्रांस में भारतीय समुदाय के सदस्य उपस्थित रहे। यह आयोजन भारत की उस पहल का हिस्सा है, जिसके तहत देश अपने महान विचारकों की वैश्विक पहचान को सशक्त करना चाहता है।

संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में डॉ. अंबेडकर की उस भूमिका को रेखांकित किया, जिसमें उन्होंने भारत के संविधान की नींव रखी और समानता व न्याय के आदर्शों को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर के विचार आज भी दुनिया भर में लोगों को प्रेरित करते हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के वीडियो संदेश में भी अंबेडकर को एक वैश्विक विचारक के रूप में सम्मानित किया गया।

यूनेस्को के उद्देश्यों से अंबेडकर की विचारधारा का साम्य

राजदूत विशाल वी. शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि डॉ. अंबेडकर द्वारा शिक्षा, लोकतांत्रिक शासन और सामाजिक न्याय के लिए की गई वकालत यूनेस्को के मिशन से गहराई से जुड़ी है। यह आयोजन भारत की संवैधानिक मूल्यों और समावेशी विकास के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः पुष्ट करता है। यह न केवल राष्ट्रीय गर्व का क्षण था, बल्कि वैश्विक स्तर पर अंबेडकर के विचारों की स्वीकार्यता का प्रतीक भी बना।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण पेरिस स्थित यूनेस्को मुख्यालय में किया गया।
  • यह आयोजन भारत के संविधान दिवस (26 नवंबर) के अवसर पर हुआ।
  • भारत के राजदूत और यूनेस्को में स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी. शर्मा ने अनावरण किया।
  • डॉ. अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान 26 नवंबर 1949 को अपनाया गया था।

भारत की संवैधानिक यात्रा में अंबेडकर की विरासत

इस आयोजन ने भारत के संविधान की स्थायी प्रासंगिकता को पुनः उजागर किया, जो 26 जनवरी 1950 को प्रभावी हुआ था। डॉ. अंबेडकर की शिक्षावादी दृष्टि, सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण और लोकतांत्रिक सोच आज भी भारत के संवैधानिक ढांचे की आधारशिला बने हुए हैं। पेरिस में स्थापित यह प्रतिमा उनके विचारों के वैश्विक प्रभाव का प्रमाण है, जो आने वाली पीढ़ियों को समानता और मानवता के मूल्यों के प्रति प्रेरित करती रहेगी।

Originally written on November 27, 2025 and last modified on November 27, 2025.

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