पेरिटो मोरेनो ग्लेशियर: अर्जेंटीना का ‘श्वेत दानव’ जलवायु परिवर्तन के संकट में

पेरिटो मोरेनो ग्लेशियर, जिसे ‘श्वेत दानव’ के नाम से जाना जाता है, अर्जेंटीना के सांता क्रूज़ प्रांत में स्थित है और यह लॉस ग्लेशियारेस नेशनल पार्क का हिस्सा है, जिसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह विशाल ग्लेशियर अब एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है, जिससे वैश्विक जलवायु परिवर्तन के असर और भी स्पष्ट हो गए हैं।

एक अनोखा और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल

पेरिटो मोरेनो ग्लेशियर लगभग 250 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो बिहार के पटना जिले के क्षेत्रफल के बराबर है। इसकी लंबाई लगभग 30 किलोमीटर है और ऊंचाई 60 मीटर तक पानी से ऊपर उठी हुई है। यह ग्लेशियर हजारों साल पुराना है और हर कुछ वर्षों में बड़े-बड़े बर्फ के टुकड़े इसके मुख्य भाग से टूट कर गिरते हैं, जिसे “आइस कैल्विंग” कहा जाता है। यह दृश्य न केवल रोमांचक होता है बल्कि इसी ने इस ग्लेशियर को विश्वभर में प्रसिद्ध भी बनाया है।

बर्फ का गिरना: एक सामान्य घटना, पर अब चिंता का कारण

हाल ही में, 21 अप्रैल 2025 को ग्लेशियर से एक विशाल बर्फ का टुकड़ा, जो 20 मंजिला इमारत जितना बड़ा था, लगभग 70 मीटर नीचे पानी में गिर गया। यह सामान्य घटना पहले भी होती रही है, परंतु पिछले कुछ वर्षों में इन बर्फ खंडों के आकार में वृद्धि वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बन गई है।
स्थानीय गाइड पाब्लो क्विंटरोस के अनुसार, “पिछले दो दशकों में इतने बड़े आइस कैल्विंग आम नहीं थे। पर पिछले चार से छह वर्षों में हमने इस तरह के आकार के आइसबर्ग देखना शुरू किया है।”

स्थिरता से पतन की ओर

पिछले कई दशकों तक पेरिटो मोरेनो ग्लेशियर को एक स्थिर ग्लेशियर के रूप में जाना जाता था, जबकि विश्व के अन्य ग्लेशियर पिघलते जा रहे थे। लेकिन 2015 के बाद इसमें लगातार बर्फ की हानि दर्ज की गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अब यह हर साल औसतन 0.85 मीटर बर्फ खो रहा है। 2020 से अब तक इसमें 700 मीटर से अधिक का नुकसान हुआ है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ग्लेशियर का योगदान: पेरिटो मोरेनो अर्जेंटीना के लिए एक प्रमुख मीठे पानी का स्रोत है।
  • आइस कैल्विंग क्या है: यह वह प्रक्रिया है जिसमें ग्लेशियर से बर्फ के बड़े-बड़े टुकड़े टूटकर जलाशयों में गिरते हैं।
  • वैश्विक स्तर पर प्रभाव: ‘नेचर’ पत्रिका के अनुसार, विश्व के ग्लेशियर हर साल 273 अरब टन बर्फ खो रहे हैं, जिससे समुद्र का स्तर 2 सेंटीमीटर तक बढ़ चुका है।
  • UNESCO रिपोर्ट 2025: 1975 से अब तक 9,000 अरब टन से अधिक बर्फ पिघल चुकी है, जो जर्मनी जितने क्षेत्रफल और 25 मीटर मोटी बर्फ के ब्लॉक के बराबर है।

पेरिटो मोरेनो ग्लेशियर का हालिया पतन न केवल अर्जेंटीना बल्कि पूरे विश्व के लिए एक चेतावनी है। यह दिखाता है कि जलवायु परिवर्तन का असर अब उन क्षेत्रों पर भी पड़ने लगा है, जो पहले तक अपेक्षाकृत सुरक्षित माने जाते थे। अगर ग्लोबल वार्मिंग की प्रवृत्ति इसी तरह जारी रही, तो भविष्य में ऐसे प्राकृतिक अजूबे इतिहास बन सकते हैं। इस संकट को गंभीरता से लेना और पर्यावरण की रक्षा के लिए सामूहिक प्रयास करना अब अनिवार्य हो गया है।

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