पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने ड्राफ्ट ‘ब्लू इकोनॉमी पॉलिसी’ पर सुझाव आमंत्रित किये

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भारत के लिए ड्राफ्ट ब्लू इकोनॉमी पॉलिसी पर सुझाव मांगे हैं। एनजीओ, उद्योग, शिक्षाविदों और नागरिकों जैसे हितधारकों को 27 फरवरी 2021 तक अपने  विचार प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

मुख्य बिंदु

  • ड्रॉफ्ट ब्लू इकोनॉमी पॉलिसी सरकार द्वारा उस विजन और रणनीति को रेखांकित करते हुए बनाई गई थी, जिसके द्वारा देश में उपलब्ध समुद्री संसाधनों का उपयोग किया जा सके।
  • इस नीति को भारत की जीडीपी में नीली अर्थव्यवस्था के योगदान को बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
  • यह तटीय समुदायों के जीवन को बेहतर बनाने और समुद्री जैव विविधता को संरक्षित करने का प्रयास भी करती है।
  • यह समुद्री क्षेत्रों और संसाधनों की राष्ट्रीय सुरक्षा को भी बनाए रखेगा।
  • ब्लू इकोनॉमी के ड्राफ्ट में सात विषयगत क्षेत्रों को मान्यता दी गई है जैसे:
  1. नीली अर्थव्यवस्था और महासागर शासन का राष्ट्रीय लेखा फ्रेमवर्क;
  2. तटीय समुद्री स्थानिक योजना और पर्यटन;
  3. समुद्री मत्स्य पालन, मछली प्रसंस्करण और एक्वाकल्चर
  4. विनिर्माण, सेवाएँ, व्यापार, प्रौद्योगिकी और कौशल विकास;
  5. लॉजिस्टिक्स, बुनियादी ढांच और शिपिंग
  6. तटीय और गहरे समुद्र में खनन
  7. अपतटीय ऊर्जा और सुरक्षा, रणनीतिक आयाम और अंतर्राष्ट्रीय संलग्नक।

नीली अर्थव्यवस्था क्या है? (What is Blue Economy?)

नीली अर्थव्यवस्था की अवधारणा आर्थिक विकास और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देने की आकांक्षा रखती है।  यह महासागरों और तटीय क्षेत्रों में पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने का प्रयास करती है। इसमें मत्स्य पालन, समुद्री खनन, ड्रेजिंग और अपतटीय तेल और गैस निष्कर्षण शामिल हैं।

Originally written on February 18, 2021 and last modified on February 18, 2021.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *