पृथ्वी पर 2025 की सबसे शक्तिशाली भू-चुंबकीय तूफान: NASA की पुष्टि

पृथ्वी पर 2025 की सबसे शक्तिशाली भू-चुंबकीय तूफान: NASA की पुष्टि

NASA ने पुष्टि की है कि पृथ्वी इस समय 2025 की सबसे शक्तिशाली भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storm) का सामना कर रही है। यह G5 स्तर की घटना है — जो NOAA द्वारा निर्धारित मापदंडों में सबसे गंभीर श्रेणी मानी जाती है। इस दुर्लभ खगोलीय घटना ने दुनिया भर में ध्रुवीय रोशनी (ऑरोरा) को उन क्षेत्रों में भी दिखाया है जहां आमतौर पर ये दिखाई नहीं देतीं, साथ ही संचार और ऊर्जा प्रणालियों पर प्रभाव को लेकर वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है।

यह तूफान इतना शक्तिशाली कैसे बना?

NASA और अमेरिकी राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (NOAA) के संयुक्त आंकड़ों के अनुसार, सूर्य से निकलने वाले कई “कोरोनल मास इजेक्शन” (CMEs) एक साथ मिलकर एक विशाल सौर प्लाज़्मा तरंग में परिवर्तित हो गए, जिसने पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र को सीधे प्रभावित किया। इस टकराव से Dst इंडेक्स में तीव्र गिरावट आई, जो चुंबकीय तीव्रता का एक महत्वपूर्ण संकेतक है — और इससे स्पष्ट हुआ कि यह एक चरम G5 स्तर की तूफानी स्थिति है। इस प्रक्रिया में दक्षिण की ओर उन्मुख एक अत्यंत शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हुआ, जिसने सौर कणों को पृथ्वी के चुंबकीय कवच में गहराई तक प्रवेश करने दिया।

निचले अक्षांशों तक फैली ध्रुवीय रोशनी

इस तूफान का सबसे रोचक दृश्यात्मक प्रभाव रहा है — ऑरोरा का असामान्य रूप से निचले अक्षांशों तक विस्तार। आम तौर पर केवल ध्रुवों के पास देखी जाने वाली यह रोशनी अब उत्तरी यूरोप, अमेरिका और ब्रिटेन के हिस्सों में देखी गई, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में यह तस्मानिया और दक्षिणी न्यूजीलैंड तक पहुँच गई। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि लोग इसे अंधेरे और खुले स्थानों से उत्तर (या दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिण) दिशा की ओर देख सकते हैं। NASA और NOAA द्वारा “Kp इंडेक्स” के माध्यम से वास्तविक समय में चुंबकीय गतिविधि की जानकारी दी जा रही है।

तकनीकी और बुनियादी ढांचे पर खतरा

जहाँ एक ओर यह घटना खगोलीय सौंदर्य का प्रदर्शन कर रही है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक तकनीकी प्रणालियों की नाजुकता भी उजागर कर रही है। कई एयरलाइंस ने ध्रुवीय उड़ानों का मार्ग बदला है ताकि विकिरण जोखिम को कम किया जा सके। उपग्रह संचार और नेविगेशन प्रणालियों में अस्थायी बाधाएं देखी गई हैं। विद्युत ग्रिडों में प्रेरित मजबूत भू-चुंबकीय धारा ट्रांसफॉर्मर को नुकसान पहुँचा सकती है या ब्लैकआउट का कारण बन सकती है। NASA ने इसे 2003 की “हैलोवीन स्टॉर्म्स” जैसी स्थिति से तुलना की है, जिसने वैश्विक स्तर पर विद्युत और उपग्रह संचालन में व्यापक अवरोध पैदा किए थे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • यह भू-चुंबकीय तूफान G5 स्तर का है, जो NOAA के अनुसार सबसे अधिक गंभीर श्रेणी है।
  • इसे सूर्य से निकले कई कोरोनल मास इजेक्शन के विलय से उत्पन्न विशाल प्लाज़्मा तरंग ने उत्पन्न किया।
  • ऑरोरा उत्तरी इंग्लैंड और अमेरिका के मिडवेस्ट तक दिखाई दी।
  • ऐसे तूफान उपग्रह, पावर ग्रिड और संचार प्रणालियों में गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं।

आगे की चेतावनी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

NASA के शोधकर्ता चेतावनी दे रहे हैं कि यह घटना सूर्य की बढ़ती गतिविधियों का संकेत हो सकती है, क्योंकि यह अपने अगले सौर अधिकतम (Solar Maximum) की ओर बढ़ रहा है। विशेषज्ञों ने “स्टील्थ CMEs” की ओर इशारा किया है, जो बिना समय रहते पहचान में आए पृथ्वी को प्रभावित कर सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरिक्ष मौसम की भविष्यवाणी और उपग्रहों की सुरक्षा के लिए बेहतर सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया गया है। हालांकि आम जनता के लिए प्रत्यक्ष खतरा सीमित है, फिर भी सलाह दी जाती है कि लोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए सर्ज प्रोटेक्टर का उपयोग करें और इस दौरान GPS पर कम निर्भर रहें।

Originally written on November 8, 2025 and last modified on November 8, 2025.

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