पूर्वोत्तर छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान से जोड़ता NE-SPARKS कार्यक्रम

भारत सरकार के पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (MDoNER) द्वारा शुरू किया गया ‘NE-SPARKS’ कार्यक्रम — “North East Students’ Programme for Awareness, Reach, and Knowledge on Space” — अब पूर्वोत्तर भारत के युवाओं के लिए विज्ञान और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की नई राह खोल रहा है। इस कार्यक्रम के तहत हाल ही में आठ पूर्वोत्तर राज्यों के चयनित मेधावी छात्रों को बेंगलुरु स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मुख्यालय का दौरा करने का अवसर मिला।
छात्रों का ISRO यात्रा अनुभव और केंद्रीय मंत्री का संवाद
केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया (पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास और संचार मंत्री) ने वर्चुअल रूप से इन छात्रों से बातचीत की और उनके अनुभवों को सुना। छात्रों ने बताया कि किस प्रकार उन्हें उपग्रह निर्माण, प्रक्षेपण प्रक्रियाएं और ISRO के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ संवाद का अवसर मिला। मंत्री ने छात्रों की जिज्ञासा और उत्साह की सराहना करते हुए उन्हें “भारत की वैज्ञानिक प्रगति के वाहक” कहा। उन्होंने छात्रों को यह भी याद दिलाया कि “अंतरिक्ष अंतिम सीमा है, और भारत की प्रगति उस चिंगारी से हो रही है जो आप बच्चों के भीतर है।”
NE-SPARKS कार्यक्रम की रूपरेखा और उद्देश्य
NE-SPARKS कार्यक्रम का उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत के छात्रों में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के प्रति रुचि जगाना है। MDoNER द्वारा NESAC-ISRO और सभी आठ पूर्वोत्तर राज्य सरकारों के सहयोग से चलाए जा रहे इस कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 800 छात्रों (प्रत्येक राज्य से 100) को ISRO के प्रमुख केंद्रों का भ्रमण कराने की योजना है। अभी तक चार बैचों में कुल 394 छात्रों (189 लड़के और 205 लड़कियाँ) ने ISRO की यात्रा की है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- NE-SPARKS कार्यक्रम को MDoNER और NESAC-ISRO द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जा रहा है।
- ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) की स्थापना 1969 में हुई थी और इसका मुख्यालय बेंगलुरु में स्थित है।
- चंद्रयान-3 मिशन 2023 में सफलतापूर्वक चंद्रमा पर लैंडिंग कर भारत को वैश्विक अंतरिक्ष मानचित्र पर प्रतिष्ठित किया।
- आदित्य-L1 मिशन सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत का पहला सौर मिशन है।