पुलिकट झील में जमी रेत ने रोकी मछलीपालन की धारा: मछुआरों की आजीविका पर संकट

तमिलनाडु के तिरुवल्लुर ज़िले में स्थित पुलिकट झील (Pulicat Lake) पर निर्भर हजारों मछुआरे इन दिनों गहरे संकट में हैं। झील का मुहाना रेत से भर जाने के कारण अब समुद्री पानी का आवागमन पूरी तरह रुक गया है, जिससे झील का पारिस्थितिकी तंत्र बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। मछुआरे बताते हैं कि झील में अब मछलियाँ नहीं मिलतीं और कई दिनों तक वे मछली पकड़ने तक नहीं जा पाते।
झील की स्थिति: समुद्री संपर्क टूटने से बिगड़ा संतुलन
अरंगमकुप्पम गांव के समुदाय नेता जलांद्रन चेत्तियार बताते हैं कि अब वे केवल समुद्र में ही मछली पकड़ने को मजबूर हैं। पहले बरसात के मौसम में जब समुद्र में ऊँची लहरें उठती थीं, तो मछुआरे झील में ही मछली पकड़ लेते थे। लेकिन अब झील में जीवन ही नहीं बचा। सरकार द्वारा बनाए गए दो रिटेनिंग वॉल्स (retaining walls), जिनका उद्देश्य मुहाने को सालभर खुला रखना था, रेत के जमाव के कारण बेकार हो गए हैं। “अब उस जगह पर ऐसे चल सकते हैं जैसे किसी बीच पर चल रहे हों,” वे कहते हैं।
सांबसु पल्लि कुप्पम गांव के नेता राजू चेत्तियार का कहना है कि झील का यह हाल उनकी पीढ़ियों की जीविका को समाप्त कर रहा है। “हमारे पूर्वज इन जलों पर निर्भर थे। कभी आंध्र प्रदेश के मछुआरे भी यहाँ आते थे क्योंकि तब पानी गहरा था और मछलियाँ प्रचुर मात्रा में मिलती थीं। अब हालात इतने खराब हैं कि बहुतों को दूसरे काम ढूँढ़ने पड़ रहे हैं,” उन्होंने बताया।
झील के भविष्य को लेकर बढ़ती चिंताएँ
दुरई महेंद्रन, तिरुवल्लुर ज़िला पारंपरिक एकीकृत मछुआरा संघ (Tiruvallur Maavatta Paarambariya Aikiya Meenavar Sangam) के प्रतिनिधि, बताते हैं कि झील की डिसिल्टिंग (desilting) के लिए कई बार अनुरोध करने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उनका कहना है, “अगर यह सिलीट भरती रही तो यह विशाल जलाशय खत्म हो जाएगा, और उसकी जगह रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स खड़े हो जाएंगे। पहले ही कई आवासीय और औद्योगिक परियोजनाएँ झील के आसपास बिना अनुमति के विकसित हो चुकी हैं।” उन्होंने झील के पुनरुद्धार के लिए सभी हितधारकों को शामिल कर एक नई व्यापक अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने की मांग की है।
पुलिकट झील: जैव विविधता और आजीविका दोनों के लिए महत्वपूर्ण
पुलिकट झील भारत की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की झील है। इसका लगभग 80% हिस्सा आंध्र प्रदेश में और शेष तमिलनाडु में स्थित है। यह झील हजारों पक्षियों, विशेष रूप से फ्लेमिंगो (Flamingo) पक्षियों का आवास स्थल है। झील पर निर्भर लगभग 22,000 मछुआरे अन्नमलैचेरी, कोराकुप्पम, पासियावरम, थोनीरावु, माधाकुप्पम, अंडिकुप्पम और कोट्टाकुप्पम जैसे गांवों में रहते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- पुलिकट झील का क्षेत्रफल लगभग 759 वर्ग किलोमीटर है।
- यह झील बंगाल की खाड़ी से जुड़ी एक खारे पानी की लैगून (brackish water lagoon) है।
- झील का सबसे बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश के नेल्लोर ज़िले में आता है।
- यह झील ईस्ट कोस्ट में पक्षी संरक्षण के लिए प्रसिद्ध Pulicat Bird Sanctuary का हिस्सा है।