पिछले 12 महीनों में दो भारतीय वयस्कों में से एक ने साइबर अपराध का अनुभव किया : रिपोर्ट
NortonLifeLock ने हाल ही में “2021 Norton cyber–Safety Insights Report” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- 59% भारतीय, यानी देश के दो वयस्कों में से एक ने पिछले 12 महीनों में साइबर अपराध का अनुभव किया है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार 10 में से 7 भारतीय वयस्कों का मानना है कि COVID-19 द्वारा बनाए गए दूरस्थ कार्य वातावरण (remote work atmosphere) ने हैकर्स और साइबर अपराधियों के लिए रास्ता आसान बना दिया है।
- भारत में लगभग 52% वयस्कों को पता नहीं है कि साइबर क्राइम से खुद को कैसे बचाया जाए।
- 27 मिलियन भारतीय वयस्कों ने पहचान की चोरी होने का अनुभव किया है।
- ऑनलाइन लेनदेन का उपयोग करने वाले 90% उपभोक्ता अपने डेटा की सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं।
- 42% का मानना है कि उनकी गोपनीयता की रक्षा करना असंभव है।
- 66% लोगों का मानना है कि वे COVID-19 के कारण साइबर अपराधों के लिए अधिक असुरक्षित हैं।
- 52% साइबर अपराध पीड़ितों ने मदद के लिए अपने दोस्तों की ओर रुख किया और 47% ने मुद्दों को सुलझाने के लिए कंपनी से संपर्क किया।
- भारत में होने वाले कुल साइबर अपराधों में से, 2020 में 14% अपराध हुए।
- 2020-21 में 27 करोड़ से अधिक वयस्कों को पहचान के चोरी होने का सामना करना पड़ा है।
साइबर अपराधों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए उठाए गए कदम
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (Indian Cyber Crime Coordination Centre – I4C) देश में साइबर अपराधों से संबंधित मुद्दों को संभालने के लिए शुरू किया गया था।
- बाल यौन शोषण सामग्री या बाल पोर्नोग्राफी से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट करने के लिए ऑनलाइन साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल शुरू किया गया था।
- साइबर स्वच्छ केंद्र (Cyber Swachhta Kendra) की स्थापना की गई।ये बोटनेट क्लीनिंग और मैलवेयर विश्लेषण केंद्र हैं।
- महत्वपूर्ण सूचना बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय महत्वपूर्ण सूचना इन्फ्रास्ट्रक्चर संरक्षण केंद्र (National Critical Information Infrastructure Protection Centre) शुरू किया गया था।
Originally written on
April 20, 2021
and last modified on
April 20, 2021.