पाकिस्तान में बाढ़ और जलवायु संकट: प्राकृतिक आपदा नहीं, नीति विफलता भी

पाकिस्तान में हाल ही में हुई मूसलाधार बारिश और उससे उत्पन्न फ्लैश बाढ़ ने 32 लोगों की जान ले ली। यह घटना न केवल देश की भौगोलिक संवेदनशीलता को उजागर करती है, बल्कि जलवायु परिवर्तन और प्रशासनिक लापरवाही के संयुक्त प्रभावों को भी सामने लाती है। पाकिस्तान सरकार की द्विवार्षिक पारदर्शिता रिपोर्ट (Biennial Transparency Report) के अनुसार, 2025 में पाकिस्तान को विश्व का सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील देश घोषित किया गया है।
पाकिस्तान की भौगोलिक और पर्यावरणीय संवेदनशीलता
- 13,000 से अधिक ग्लेशियर: पाकिस्तान दुनिया के सबसे अधिक ग्लेशियरों वाला देश है। बढ़ते वैश्विक तापमान से इन ग्लेशियरों के पिघलने की दर तेज हो रही है, जिससे ग्लेशियल झील विस्फोट (GLOF) और फ्लैश बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।
- अनियमित वर्षा और हीटवेव: लगातार बदलते मौसम के पैटर्न, जैसे हीटवेव और अनियमित बारिश, पाकिस्तान के अधिकांश हिस्सों को प्रभावित करते हैं।
- भूकंप संभावित क्षेत्र: देश के कई हिस्से भूकंप संभावित क्षेत्र में भी आते हैं, जिससे प्राकृतिक आपदा की संवेदनशीलता और बढ़ जाती है।
मानव-निर्मित कारकों ने संकट को कैसे बढ़ाया
- शहरी योजना की कमी: UN Habitat की 2023 रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के 50% से अधिक शहरी निवासी कच्ची बस्तियों में रहते हैं। इन इलाकों में न तो मूलभूत नागरिक सुविधाएँ हैं और न ही आपदा प्रबंधन की व्यवस्था।
- छतें गिरना और देर से रेस्क्यू: हालिया बाढ़ में अधिकांश मौतें पंजाब में छत गिरने से हुईं, जबकि स्वात क्षेत्र में पर्यटक नदी किनारे बह गए और स्थानीय लोगों ने समय पर राहत न पहुंचने पर विरोध प्रदर्शन किए।
- शहरी हीट आइलैंड प्रभाव: अधिक घनत्व वाले शहरों में कंक्रीट संरचनाओं, कम हरियाली और अधिक ऊर्जा उत्सर्जन के कारण तापमान अधिक रहता है।
- वायु प्रदूषण और कचरा प्रबंधन की विफलता: प्लास्टिक और ठोस कचरे के खुले में जलने से वायु गुणवत्ता गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF): ग्लेशियरों से बनी झीलों के अचानक फटने से उत्पन्न तीव्र बाढ़।
- ग्रीन फाइनेंसिंग: जलवायु अनुकूलन और न्यूनीकरण के लिए वित्तीय सहायता, जैसे ग्रीन क्लाइमेट फंड, अनुकूलन फंड आदि।
- हीट आइलैंड प्रभाव: शहरी इलाकों में तापमान बढ़ना, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में।
- RSF (Resilience and Sustainability Facility): IMF द्वारा 1.4 अरब डॉलर की सहायता राशि पाकिस्तान को स्वीकृत।
वैश्विक जिम्मेदारी और पाकिस्तान की मांग
पाकिस्तान का दावा है कि वह वैश्विक उत्सर्जन में केवल 1% से भी कम योगदान करता है, फिर भी उसे भारी जलवायु प्रभावों का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान ने 2030 तक जलवायु न्यूनीकरण के लिए 200 अरब डॉलर और जलवायु-लचीली विकास आवश्यकताओं के लिए 348 अरब डॉलर की जरूरत बताई है, जबकि उसे अब तक मिलने वाली ग्रीन फंडिंग अपर्याप्त रही है।
पूर्व जलवायु मंत्री शेरी रहमान ने भी हालिया बाढ़ के संबंध में प्रशासनिक असावधानी और सामाजिक लापरवाही पर चिंता जताई। वर्तमान मंत्री मुसद्दिक मलिक ने कहा, “यह केवल जलवायु संकट नहीं, बल्कि नैतिक असमानता का संकट है।”
पाकिस्तान की यह स्थिति इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि कैसे जलवायु परिवर्तन केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विफलताओं से भी जुड़ा हुआ है। केवल फंडिंग ही समाधान नहीं, बल्कि गवर्नेंस सुधार, योजनाबद्ध शहरीकरण और पर्यावरणीय जागरूकता ही इसे स्थायी रूप से संभाल सकते हैं।