पाकिस्तान में गेहूं की एमएसपी और सरकारी खरीद का अंत: भारत के लिए क्या संकेत?

पाकिस्तान ने हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के दबाव में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली और सरकारी खरीद को समाप्त कर दिया है। यह कदम भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है, जहाँ कृषि नीतियाँ किसानों की सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय भूमिका निभाती हैं।
पाकिस्तान में एमएसपी और सरकारी खरीद का अंत
IMF के साथ $7.1 बिलियन के विस्तारित फंड सुविधा (EFF) समझौते के तहत, पाकिस्तान ने 2024-25 रबी सीजन के लिए गेहूं की MSP घोषित नहीं की है। इसके अलावा, पाकिस्तान एग्रीकल्चरल स्टोरेज एंड सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PASSCO) ने इस सीजन में एक भी टन गेहूं की खरीद नहीं की है। यह निर्णय IMF की शर्तों के तहत लिया गया है, जिसमें कृषि बाजारों में सरकारी हस्तक्षेप को समाप्त करने की प्रतिबद्धता शामिल है।
भारत की स्थिति: MSP और सरकारी खरीद की मजबूती
भारत में, MSP और सरकारी खरीद प्रणाली अभी भी मजबूत है। 2024-25 के रबी सीजन में, भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने 266 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की है, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। MSP प्रणाली के तहत, किसानों को ₹2,275 प्रति क्विंटल का समर्थन मूल्य प्रदान किया गया है, जिससे उन्हें उचित मूल्य सुनिश्चित हुआ है।
भारत में एमएसपी प्रणाली का महत्व
भारत में MSP प्रणाली किसानों के लिए एक सुरक्षा जाल के रूप में कार्य करती है, जो उन्हें बाजार की अस्थिरता से बचाती है। यह प्रणाली खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, किसानों की आय स्थिर करने और कृषि उत्पादन को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा, भारत में कृषि आय पर कोई कर नहीं लगाया जाता है, और किसानों को उर्वरक, सिंचाई और बीज जैसी इनपुट्स पर सब्सिडी प्रदान की जाती है।
पाकिस्तान के निर्णय के प्रभाव
पाकिस्तान में MSP और सरकारी खरीद प्रणाली के समाप्त होने से किसानों को बाजार की अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है। गेहूं की कीमतों में गिरावट आई है, जिससे किसानों की आय प्रभावित हुई है। इसके अलावा, PASSCO के विघटन से सरकारी खरीद और भंडारण प्रणाली कमजोर हुई है, जिससे खाद्य सुरक्षा पर भी प्रभाव पड़ा है।
भारत के लिए सबक
पाकिस्तान के अनुभव से भारत को यह सीखने की आवश्यकता है कि MSP और सरकारी खरीद प्रणाली को बनाए रखना किसानों की सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक है। हालांकि, भारत को भी अपनी कृषि नीतियों में सुधार करने की आवश्यकता है, जैसे कि फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना, जल संसाधनों का सतत उपयोग सुनिश्चित करना और किसानों की आय बढ़ाने के उपाय करना।