पाकिस्तान की GSP+ स्थिति पर यूरोपीय संघ की सख्त समीक्षा

पाकिस्तान की GSP+ स्थिति पर यूरोपीय संघ की सख्त समीक्षा

यूरोपीय संघ (EU) का एक प्रतिनिधिमंडल इस समय पाकिस्तान की जनरलाइज्ड स्कीम ऑफ प्रेफरेंसेज़ प्लस (GSP+) स्थिति की समीक्षा कर रहा है। यह जांच हाल ही में हुए उपचुनावों में कथित अनियमितताओं और अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघनों की रिपोर्टों के बीच की जा रही है। इस समीक्षा ने पाकिस्तान की शासन व्यवस्था, लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकार संरक्षण को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बहस छेड़ दी है।

GSP+ ढांचा और इसका महत्व

GSP+ यूरोपीय संघ की एक विशेष व्यापारिक योजना है, जिसके अंतर्गत विकासशील देशों को दो-तिहाई उत्पाद श्रेणियों पर शून्य आयात शुल्क (zero import duties) की सुविधा दी जाती है। इसके बदले इन देशों को शासन, मानवाधिकार, श्रमिक अधिकार, पर्यावरण संरक्षण और भ्रष्टाचार विरोधी मानकों से जुड़े 27 अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशनों को लागू करना अनिवार्य होता है।पाकिस्तान को इस योजना से विशेष रूप से टेक्सटाइल, परिधान और सर्जिकल उपकरणों के निर्यात में बड़ा आर्थिक लाभ हुआ है।

वर्तमान समीक्षा के कारण

इस बार की ईयू समीक्षा का कारण पाकिस्तान में चुनावी पारदर्शिता पर उठे सवाल और नागरिक स्वतंत्रताओं के संकुचन को लेकर बढ़ती चिंताएं हैं। हाल ही में दो उपचुनावों में धांधली के आरोपों और कथित वीडियो के प्रसार ने इस मामले को और संवेदनशील बना दिया है। कई राजनीतिक दलों ने निष्पक्ष जांच की मांग की है। यूरोपीय अधिकारियों का मानना है कि ऐसी घटनाएं GSP+ मानकों में उल्लिखित लोकतांत्रिक और सुशासन संबंधी दायित्वों का उल्लंघन हो सकती हैं।

मानवाधिकार स्थिति और सुरक्षा अभियान

स्थिति को और जटिल बना रही हैं खैबर पख्तूनख्वा में आतंकवादी हमले के बाद चल रहे सुरक्षा अभियान। मानवाधिकार संगठनों ने चेतावनी दी है कि इन अभियानों के दौरान पश्तून समुदायों को निशाना बनाने की शिकायतें अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों के उल्लंघन की श्रेणी में आ सकती हैं। ईयू की निगरानी प्रक्रिया इन घटनाओं को विशेष रूप से जांच के दायरे में रख रही है, क्योंकि किसी देश को GSP+ का लाभ बनाए रखने के लिए अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और नागरिक स्वतंत्रता की गारंटी देना आवश्यक है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • GSP+ योजना के तहत देशों को 27 अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और सुशासन कन्वेंशनों का अनुपालन करना पड़ता है।
  • पाकिस्तान को इससे टेक्सटाइल और सर्जिकल वस्तुओं के निर्यात में शुल्क-मुक्त पहुंच मिलती है।
  • ईयू हर दो वर्ष में GSP+ प्रगति रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
  • लाभ बनाए रखने के लिए देशों को नियमित संवाद और विस्तृत रिपोर्टिंग दायित्वों का पालन करना होता है।

आर्थिक प्रभाव और संभावित परिणाम

पाकिस्तान की निर्यात अर्थव्यवस्था काफी हद तक ईयू बाजार पर निर्भर है। जुलाई से अक्टूबर के बीच पाकिस्तान के निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है, जिसका बड़ा हिस्सा यूरोपीय देशों को गया। यदि ईयू की समीक्षा में पाकिस्तान की स्थिति नकारात्मक पाई जाती है, तो उसे मिलने वाले टैरिफ लाभ प्रभावित हो सकते हैं, जिससे उसके प्रमुख निर्यात उद्योगों पर दबाव बढ़ेगा।

Originally written on November 28, 2025 and last modified on November 28, 2025.

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