पाकिस्तान का लीबिया को 4 अरब डॉलर से अधिक का रक्षा निर्यात समझौता
पाकिस्तान ने वैश्विक पारंपरिक हथियार बाजार में अपनी मौजूदगी को मजबूती देते हुए 4 अरब डॉलर से अधिक मूल्य का एक बड़ा रक्षा निर्यात समझौता किया है। यह करार लीबिया की सशस्त्र शक्ति के साथ हुआ है और इसे पाकिस्तान के इतिहास के सबसे बड़े रक्षा निर्यात सौदों में गिना जा रहा है। यह कदम निर्यात-आधारित रक्षा अर्थव्यवस्था के लक्ष्य के अनुरूप माना जा रहा है, जिसे इस्लामाबाद लंबे समय से आगे बढ़ा रहा है।
समझौते का दायरा और प्रमुख प्रणालियां
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह हथियार आपूर्ति समझौता लीबियन नेशनल आर्मी के साथ किया गया है। सौदे में थल, वायु और नौसैनिक श्रेणियों की सैन्य प्रणालियां शामिल हैं। इनमें पाकिस्तान और चीन द्वारा संयुक्त रूप से विकसित बहु-भूमिका लड़ाकू विमान JF-17 भी शामिल बताए गए हैं। पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों ने इसे वित्तीय और रणनीतिक दृष्टि से ऐतिहासिक करार दिया है।
उच्चस्तरीय सैन्य संवाद
इस समझौते से पहले बेंगाज़ी में उच्चस्तरीय सैन्य बातचीत हुई थी। रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर और एलएनए के उप-कमांडर-इन-चीफ सद्दाम खलीफा हफ्तार के बीच बैठक हुई। हालांकि पाकिस्तान के विदेश और रक्षा मंत्रालयों ने औपचारिक टिप्पणी नहीं की, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यह करार इस्लामाबाद और पूर्वी लीबिया की सैन्य शक्ति के बीच बढ़ते रणनीतिक सहयोग को दर्शाता है।
संयुक्त राष्ट्र हथियार प्रतिबंध के बीच औचित्य
लीबिया पर 2011 से संयुक्त राष्ट्र का हथियार प्रतिबंध लागू है। इसके बावजूद पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों ने इस सौदे का बचाव करते हुए कहा कि यह प्रतिबंध वर्षों से प्रभावी नहीं रहा है और कई पश्चिमी व मध्य-पूर्वी देशों ने विभिन्न लीबियाई गुटों को हथियार उपलब्ध कराए हैं। अधिकारियों के अनुसार, यह सौदा नागरिक सरकार और सैन्य नेतृत्व द्वारा समर्थित उस नीति के अनुरूप है, जिसके तहत रक्षा निर्यात के जरिए आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाई जा रही है।
भू-राजनीतिक प्रभाव और अंतरराष्ट्रीय निगरानी
2011 में नाटो समर्थित विद्रोह के बाद लीबिया में लंबे समय से अस्थिरता बनी हुई है, जिसके चलते ऐसे किसी भी हथियार सौदे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी निगरानी रहती है। रॉयटर्स के मुताबिक, लीबियाई पक्षों को हथियार आपूर्ति अब भी कूटनीतिक रूप से अत्यंत संवेदनशील मानी जाती है। इसके बावजूद एलएनए नेतृत्व ने सार्वजनिक रूप से इस समझौते का स्वागत किया है और पाकिस्तान के साथ “रणनीतिक सैन्य सहयोग के नए चरण” की घोषणा की है। इससे मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के रक्षा बाजारों में पाकिस्तान की बढ़ती मौजूदगी के संकेत मिलते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- लीबिया 2011 से संयुक्त राष्ट्र के हथियार प्रतिबंध के अधीन है।
- लीबियन नेशनल आर्मी पूर्वी लीबिया को नियंत्रित करती है।
- JF-17 एक बहु-भूमिका लड़ाकू विमान है, जिसे पाकिस्तान और चीन ने मिलकर विकसित किया है।
- रक्षा निर्यात पाकिस्तान की आर्थिक रणनीति का एक प्रमुख स्तंभ है।
कुल मिलाकर, यह समझौता पाकिस्तान के रक्षा उद्योग के लिए एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय जांच और भू-राजनीतिक जोखिम बने रहेंगे, लेकिन इस सौदे ने वैश्विक हथियार बाजार में पाकिस्तान की महत्वाकांक्षाओं को स्पष्ट रूप से रेखांकित कर दिया है।