पश्चिम बंगाल पुलिस में एआई सेल की स्थापना: तकनीकी सशक्तिकरण की ओर कदम
पश्चिम बंगाल पुलिस ने अपनी तकनीकी क्षमताओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। हाल ही में प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुलिस विभाग एक समर्पित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सेल की स्थापना कर रहा है, जिसका उद्देश्य दक्षता, पारदर्शिता और सेवा वितरण को बेहतर बनाना है। आधुनिक तकनीकों के समावेश से पुलिसिंग के स्तर को और अधिक प्रभावशाली बनाने की दिशा में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
एआई सेल की संरचना और संचालन
इस एआई सेल का नेतृत्व अतिरिक्त महानिदेशक (ADG) स्तर के अधिकारी करेंगे, जबकि इसमें महानिरीक्षक (IG) और उपमहानिरीक्षक (DIG) रैंक के अधिकारी भी शामिल होंगे। यह टीम मिलकर एआई से संबंधित परियोजनाओं की योजना, क्रियान्वयन और निगरानी का कार्य करेगी। एआई सेल का मुख्यालय कोलकाता स्थित भवानी भवन में होगा, जो राज्य पुलिस मुख्यालय है। यह इकाई पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कुमार के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करेगी।
राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिए आवश्यक वित्तीय और प्रशासनिक सहायता देने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके अंतर्गत एआई तकनीकों के प्रयोग को लेकर रणनीति बनाने और नीतियां तय करने के लिए हर दो सप्ताह में बैठकें आयोजित की जाएंगी।
पुलिसिंग में एआई तकनीकों का संभावित योगदान
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से पुलिसिंग के कई क्षेत्र जैसे अपराध विश्लेषण, निगरानी, संसाधन प्रबंधन और नागरिक सेवाएं अधिक कुशल हो सकती हैं। उन्नत डेटा एनालिटिक्स की मदद से अपराध प्रवृत्तियों की पहचान कर समय रहते कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही, वीडियो विश्लेषण, फेस रिकग्निशन और रियल-टाइम मॉनिटरिंग जैसे एआई उपकरण पुलिस की क्षमता में वृद्धि करेंगे।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- पश्चिम बंगाल पुलिस की स्थापना वर्ष 1861 में हुई थी।
- भवानी भवन, कोलकाता में स्थित है जो राज्य पुलिस का मुख्यालय है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शुरुआत 1956 में एक आधिकारिक शोध क्षेत्र के रूप में हुई थी।
- भारत सरकार भी “राष्ट्रीय एआई मिशन” के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में एआई तकनीकों को प्रोत्साहित कर रही है।
राज्य पुलिस में एआई सेल की स्थापना न केवल तकनीकी उन्नयन का प्रतीक है, बल्कि यह प्रशासनिक दक्षता और नागरिक सेवाओं में सुधार की दिशा में एक दूरदर्शी पहल भी है। भविष्य में, इसके माध्यम से अपराध नियंत्रण, संसाधन प्रबंधन और पारदर्शिता के नए मानक स्थापित हो सकते हैं, जिससे पुलिसिंग की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार की उम्मीद की जा रही है।