पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम
‘पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम अधिनियम’ को ‘पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम, 1960’ के तहत 2017 में पेश किया गया था। इसके प्रावधानों में से एक स्थानीय मजिस्ट्रेट को जानवर की अंतरिम हिरासत लेने और कुछ स्थानीय आश्रय गृह को सौंपने में सक्षम बनाता है। बचाए गए जानवर की देखभाल करने में होने वाला खर्च आरोपी मालिक द्वारा वहन किया जाता है। इसके विपरीत, पशु के इस जब्ती की अनुमति केवल तभी दी जाती है जब मामले में दोष सिद्ध हुआ हो। इस पर सुप्रीम कोर्ट में चर्चा चल रही है।
Originally written on
February 3, 2021
and last modified on
February 3, 2021.