पल्लीकरनई मार्श के पास निर्माण कार्य पर मद्रास हाईकोर्ट की रोक
चेन्नई के पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील पल्लीकरनई मार्श के पास एक बड़े आवासीय परियोजना पर मद्रास हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। यह फैसला उस जनहित याचिका (PIL) के आधार पर लिया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि यह परियोजना संरक्षण कानूनों का उल्लंघन करती है और बाढ़ के खतरे को बढ़ा सकती है। यह इलाका अंतरराष्ट्रीय महत्व के रामसर-घोषित आर्द्रभूमि (wetland) के अंतर्गत आता है।
कोर्ट का हस्तक्षेप और अंतरिम आदेश
मुख्य न्यायाधीश एम.एम. श्रीवत्सव और न्यायमूर्ति अरुल मुरुगन की खंडपीठ ने यह आदेश AIADMK की कानूनी शाखा के सदस्य जे. ब्रेज़नेव द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान दिया। याचिकाकर्ता ने पल्लीकरनई मार्श के एक किलोमीटर के दायरे में नए निर्माण पर प्रतिबंध लगाने और रु. 2,000 करोड़ की ‘ब्रिगेड मॉर्गन हाइट्स’ परियोजना की स्वीकृति रद्द करने की मांग की थी। अदालत ने तमिलनाडु सरकार और चेन्नई महानगर विकास प्राधिकरण (CMDA) से अगली सुनवाई से पहले जवाब दाखिल करने को कहा है।
याचिकाकर्ता की आपत्ति: पर्यावरणीय और कानूनी उल्लंघन
याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह परियोजना केंद्र सरकार के रामसर फ्रेमवर्क और ‘वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017’ का उल्लंघन करती है। पल्लीकरनई आर्द्रभूमि न केवल जैव विविधता का समृद्ध स्थल है, बल्कि चेन्नई के लिए प्राकृतिक बाढ़ अवरोधक के रूप में भी कार्य करती है। याचिकाकर्ता ने यह भी उल्लेख किया कि अतिक्रमण, कचरा फेंकना और अनियंत्रित शहरी विकास पहले ही इस आर्द्रभूमि की सेहत को नुकसान पहुंचा चुके हैं।
सरकार और बिल्डर का पक्ष
तमिलनाडु सरकार और CMDA ने अदालत में दलील दी कि विवादित परियोजना पल्लीकरनई रिज़र्व फ़ॉरेस्ट और रामसर साइट की अधिसूचित सीमा से बाहर है। उनका कहना है कि निर्माण की अनुमति केवल निजी पट्टा भूमि पर दी गई है। सरकार ने बताया कि 1,248 हेक्टेयर की रामसर साइट — जिसमें 698 हेक्टेयर रिज़र्व फ़ॉरेस्ट और 550 हेक्टेयर संलग्न आर्द्रभूमि शामिल है — का विस्तृत सीमांकन चल रहा है, जिसकी पुष्टि नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट द्वारा की जाएगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- पल्लीकरनई मार्श चेन्नई में स्थित एक रामसर-सूचीबद्ध आर्द्रभूमि है।
- मद्रास हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2025 में यहां निर्माण पर अंतरिम रोक लगाई।
- विवादित परियोजना ‘ब्रिगेड मॉर्गन हाइट्स’ की लागत लगभग ₹2,000 करोड़ है।
- आर्द्रभूमियों की सुरक्षा ‘वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017’ के तहत होती है।
बाढ़ और पारिस्थितिकीय प्रभाव को लेकर चिंता
सिविक कार्यकर्ताओं, विशेष रूप से ‘अरप्पोर इयक्कम’ जैसे संगठनों ने चेतावनी दी है कि यह परियोजना पेरुमबक्कम और शोलिंगनल्लूर जैसे इलाकों में वर्षा के दौरान बाढ़ की गंभीरता को बढ़ा सकती है। उनका तर्क है कि मार्श के पास निर्माण कार्य इस प्राकृतिक जलभराव क्षेत्र की जल सोखने और भूजल पुनर्भरण क्षमता को प्रभावित करता है। हाईकोर्ट का यह हस्तक्षेप चेन्नई की बढ़ती आवासीय मांग और समाप्त हो रही पर्यावरणीय स्थलों के बीच संतुलन की आवश्यकता पर एक बार फिर प्रकाश डालता है।